हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए और गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए। अगर यह भी संभव नहीं हो तो घर पर स्नान करते समय पानी में गंगाजल मिश्रित करके स्नान करनी चाहिए।
धार्मिक मान्यता के अनुसार मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसलिए इस दिन मौन रहकर व्रत करने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। इस बार माघ अमावस्या 21 जनवरी को मनाई जाएगी।
माघ अमावस्या का महत्व- माघ मास में होने वाले स्नान का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अमावस्या ही है। इस दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। मान्यता है कि माघ के महीने में मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह अमृत के समान फल पाता है। माघ अमावस्या पर मौन रहने का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन अगर मौन रहना संभव न हो तो भी अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें और अपने मुंह से कटु वचन न बोलें।
पुराणों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन मन की स्थिति कमजोर होती है। इसलिए इस दिन मौन व्रत रखकर मन को संयम रखने का विधान है। माघ अमावस्या दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा की जाती है।
माघ अमावस्या व्रत के नियम-
मौनी अमावस्या के दिन प्रात:काल स्नान नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को अघ्र्य देना चाहिए। इस दिन व्रत का संकल्प लेने के बाद मौन रहने का प्रयास करना चाहिए। इस दिन भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं। माघी अमावस्या के दिन अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन का दान करना चाहिए। मान्यताओं के मुताबिक माघ अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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