बसंत पंचमी पर करें मां सरस्वती की वंदना || Vaibhav Vyas


 बसंत पंचमी पर करें मां सरस्वती की वंदना

बसंत पंचमी इस बार 26 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा से विद्या और ज्ञान का आशीर्वाद मिलता है।

बसंत पंचमी के दिन स्नान के बाद पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। मां सरस्वती की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। गंगाजल से उन्हें स्नान कराएं। मां सरवती के समक्ष धूप-दीप, अगरबत्ती जलाएं और उनका ध्यान करें। पूजा आसन पर बैठकर ही करें। बिना आसन की पूजा व्यर्थ मानी जाती है। मां सरस्वती को तिलक लगाएं और उन्हें माला पहनाएं। मां सरस्वती को मिठाई और फलों का भोग लगाएं। मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें और अंत में आरती उतारें।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसी कारण से इस दिन मां की पूजा का विधान है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन मां सरस्वती की पूजा कर उनके मंत्रों का जाप करता है उसे ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, एक और कथा भी है। 

कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनी की रचना की थी लेकिन वह अपनी रचना से संतुष्ट नहीं थे। तब विष्णु भगवान (भगवान विष्णु के 8 भयंकर छल) के केने पर उन्होंने अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का, उस जल से एक सुंदर स्त्री प्रकट हुईं। उन स्त्री के 4 हाथ थे और आलौकिक तेज से वह घिरी हुई थीं। एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। वहीं अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। जैसे ही इन देवी ने वीणा बजाना शुरू किया एक अलग सी तरंग पूरी सृष्टि में फ़ैल गई और सबकुछ बेहद खूबसूरत हो गया। मनुष्यों को वाणी मिली जिससे वह बोल पा रहे थे और बात कर पा रहे थे। तब ब्रह्मा जी ने उन्हें वाणी की देवी सरस्वती कह कर पुकारा। मां सरस्वती को सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से जाना जाता है। चूंकि संगीत की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है इसलिए इन्हें संगीत की देवी भी माना जाता है। जिस दिन मां सरस्वती अवतरित हुईं उस दिन बसंत ऋतु की पंचमी तिथि थी। इसी कारण से इस दिन को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।

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