माघ मास में स्नान-दान का विशेष महत्व || Vaibhav Vyas


 माघ मास में स्नान-दान का विशेष महत्व

हिंदू धर्म में माघ माह का विशेष महत्व है। माघ माह हिंदू कलैंडर का 11वां महीना है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस महीने दान और स्नान करने का विशेष महात्म्य है। पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ ही माघ स्नान का प्रारंभ माने जाने लगता है। इस पूरे महीने पवित्र नदियों-संगम में स्नान-दान का विशेष महत्व होत है जिसके चलते इस पूरे  माह स्नान-दान करने से श्री विष्णु की हरि की कृपा मिलती है और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। माध शब्द का संबंध भगवान श्री कृष्ण के स्वरूप माधव से है।

माघ के महीने में पवित्र नदी में स्नान, दान आदि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। माघ महीने में ढेर सारे धार्मिक पर्व आते हैं साथ ही प्रकृति भी अनुकूल होने लगती है। इस माह में संगम पर कल्पवास भी किया जाता है जिससे व्यक्ति शरीर और आत्मा से नया हो जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार माघ मास में गौतम ऋषि ने इन्द्र देव को श्राप दिया था। जब इन्द्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने गौतम ऋषि से क्षमा याचना की। गौतम ऋषि ने इन्द्र देव को माघ मास में गंगा स्नान कर प्रायश्चित करने को कहा।  तब इन्द्र देव ने माघ मास में गंगा स्नान किया था, जिसके फलस्वरूप इन्द्र देव को श्राप से मुक्ति मिली थी, इसलिए इस महीने में स्नान का विशेष महत्व है।

माघ माह में सुबह कृष्ण भगवान को पीले फूल अर्पित करने चाहिए और पंचामृत अर्पित करना चाहिए। माघ माह में कृष्ण जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए और पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। नित्य किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराएं। सम्भव हो तो एक ही वेला भोजन करें।

इस माह में सात्विक भोजन करना चाहिए और भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। गर्म पानी को धीरे-धीरे छोड़कर सामान्य जल से स्नान करना शुरू कर देना चाहिए। सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत होकर श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा-आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने लगती है।

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