हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का अत्यधिक महत्व है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक साल की आखिरी अमावस्या पौष माह में पडऩे जा रही है। इस साल पौष माह की अमावस्या 23 दिसंबर, दिन शुक्रवार को होगी। पौष माह की अमावस्या तिथि को सिद्ध तिथि माना जाता है क्योंकि इस अमावस्या के बाद नया साल शुरू होता है जिसमें अमावस्या तिथियों की गणना अलग होती है।
पौष अमावस्या पर दान-पुण्य के अलावा अगर कुछ उपाय किये जाएं और पूजा करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाए तो इससे घर में सुख-समृद्धि आती है, पितरों का आशीर्वाद बना रहता है और कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती।
अमावस्या तिथि महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ नकारात्मक ऊर्जा (नकारात्मक ऊर्जा हटाने के उपाय) का प्रतीक भी मानी जाती है। इसलिए इस दिन किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।
- पौष अमावस्या के दिन घर को गंदा नहीं छोडऩा चाहिए।
- पौष अमावस्या के दिन रूई के प्रयोग पर मनाही होती है। ऐसे में रूई से बनी चीजों का स्पर्श न करें।
- पौष अमावस्या के दिन सुईं को भी हाथ न लगाएं।
- पौष अमावस्या के दिन देर तक न सोएं।
- पौष अमावस्या के दिन भोजन में नमक का सेवन करने से बचें।
- पौष अमावस्या के दिन बालों में तेल न लगाएं।
- पौष अमावस्या के दिन घर में नई झाड़ू लाने से बचें।
- पौष अमावस्या के दिन तामसिक भोजन करने से बचें।
- पौष अमावस्या के दिन पूजन सामग्री को मंदिर के आगे अमावस्या तिथि खत्म होने तक रखें।
उपाय- पौष अमावस्या के दिन एक काले कपड़े में 5 लौंग रखकर उस पोटली को बहती नदी में प्रवाहित कर दें। इससे घर की समस्याएं दूर हो जाएंगी।
- पौष अमावस्या के दिन नकारात्मक शक्तियां का असर ज्यादा होता है ऐसे में सायंकाल के दौरान घर में कुछ समय के लिए लाइट जलाकर रखें।
पौष अमावस्या के दिन राहु के प्रभाव से बचने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें और हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाएं।
पौष अमावस्या पर दान-पुण्य के साथ जरूरतमंदों को भोजन अवश्य करवाना चाहिए।
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