मार्गशीर्ष माह का शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत 5 दिसंबर, दिन सोमवार को है। इसलिए यह प्रदोष व्रत भी सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। त्रयोदशी तिथि का आरंभ 5 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 57 मिनट पर होगा वहीं इसका समापन 6 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 47 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा 5 दिसंबर को की जाएगी। वहीं, प्रदोष काल की बात करें तो वह 5 दिसंबर को सायंकाल 5 बजकर 14 मिनट से 6 बजे तक रहेगा।
शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत को गृहस्थ लोगों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। जो लोग भगवान शिव की पूर्ण नियमों के साथ पूजा करने में असमर्थ हैं उनके लिए प्रदोष व्रत का विधान रखा गया है।
माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की श्रद्धा भाव से की गई पूजा व्यक्ति को अनंत सुखों का स्वामी बना देती है।
भगवान शिव की कृपा से दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है।
व्यक्ति के जीवन के कष्ट समाप्त हो जाते हैं और महादेव के साथ-साथ उनकी आदि शक्ति माता पार्वती का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि-
- प्रात: काल जल्दी उठकर स्नान करें।
- स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर में दिया जलाएं।
- भगवान शिव का गंगाजल के अभिषेक करें।
- महादेव को पुष्प और फल अर्पित करें।
- भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती और गणपति का भी स्मरण करें।
- भगवान शिव को सात्विक चीजों का भोग लगाएं।
- अंत में भगवान शिव की आरती उतारें और प्रसाद वितरण करें।
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