धर्मशास्त्रों के मुताबिक शास्त्रों में वेद, नदियों में गंगा और युगों में सतयुग श्रेष्ठ माने गए हैं। उसी प्रकार भगवान विष्णु इस महीने योग निद्रा से जागते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इसी वजह से कार्तिक मास को भी सर्वश्रेष्ठ महीना माना गया है। इस महीने ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और पूजा-उपासना शीघ्र फलदायी होती है। मान्यता है कि इस मास में की गई पूजा व उपासना सीधे भगवान तक पहुंचती है, इसलिए कार्तिक माह को पुराणों में मोक्ष का द्वारा कहा गया है। जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों में कार्तिक मास में पूजा-उपासना के साथ ही कुछ उपाय करने से भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं।
मान्यता है कि भगवान विष्णु को तुलसीजी बेहद प्रिय हैं। यूं तो उनका पूजन साल भर करना शुभ माना जाता है, लेकिन कार्तिक मास में तुलसी जी पूजा करने से विशेष पुण्य लाभ मिलता है और जीवन से सारे दुख-संकट दूर हो जाते हैं। ऐसा करने से अकाल मृत्यु की आशंका भी काफी कम हो जाती है।
कार्तिक मास में पुण्य लाभ हासिल करने के लिए सुबह जल्दी यानी ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान करना चाहिए। स्नान करके तुलसी के 5 पत्ते तोड़ लें। इसके बाद उन पत्तों को गंगाजल से धोकर घर के मंदिर में रख दें। रात को सोने से पहले उन पत्तों को अपने तकिए के नीचे रखकर सोएं. साथ ही भगवान विष्णु से आशीर्वाद देने की कामना करें।
घर-परिवार या कामकाजी जीवन में समस्याएं सता रही हो तो गुरुवार को तुलसी के पत्तों को पीले कपड़े में बांधकर ऑफिस या दुकान में रखें। इस महीने तुलसी पर भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की खास कृपा होती है। इसलिए घर-ऑफिस में ऐसा करने से आपके कामकाजी जीवन में सुगमता आती है और समस्याओं का निवारण होने लगता है।
साथ ही गुरुवार के दिन बृहस्पति देव व केले के वृक्ष की पूजा करें और उनको पीले रंग के पुष्प अर्पित करें। अगर आपके विवाह में कोई अड़चन आ रही है तो गुरुवार को व्रत का संकल्प लें और 11 गुरुवार तक नियमित रूप से व्रत रखें। इस दौरान पीले रंग के कपड़े पहनें और बिना नमक के भोजन भी पीला ही करें। इस दिन केले का दान करना उत्तम माना गया है लेकिन केले का सेवन स्वयं न करें जिससे विष्णु भगवान का आशीर्वाद शीघ्र मिलने वाला रहता है।
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