अखंड द्वादशी व्रत से सुख-शांति और समृद्धि || Vaibhav Vyas


 अखंड द्वादशी व्रत से सुख-शांति और समृद्धि

अखंड द्वादशी व्रत मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष या चंद्रमा के शुक्ल पक्ष के 12वें दिन रखा जाता है। 2022 में अखंड द्वादशी तिथि 5 दिसंबर को है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन किए जाने वाले व्रत में गाय के दूध से बने भोजन को दिन में खाया जाता है। व्रत रखने वालों द्वारा दही का सेवन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह अच्छे पारिवारिक जीवन के लिए भी किया जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार राज्य पाकर भी जो निर्धन, धनी होकर भी धन का भोग और दान नहीं कर पाना, उत्तम रूप पाकर भी काना, अंधा या लंगड़ा होना, स्त्री पुरुष का वियोग होना जैसे लक्षण धार्मिक कार्यों में कमी का ही परिणाम होता है।  ऐसे में इस कमी को दूर करने के लिए पुराणों में अखंड द्वादशी, मनोरथ द्वादशी और तिल द्वादशी व्रतों का विधान बताया गया है। इस व्रत की विधि एकादशी के समान ही होती है इसे करने से बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।

अखंड द्वादशी व्रत की विधि- अखंड द्वादशी व्रत के दिन सुबह सवेरे उठ जाएं और स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। षोडशोपचार विधि से लक्ष्मीनारायण भगवान की पूजा करें और व्रत कथा सुनें। इसके बाद भजन-कीर्तन करें। भगवान को भोग लगाने के बाद घर में सभी को प्रसाद वितरित करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और इसके बाद ही स्वयं भोजन ग्रहण करें। मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष द्वादशी व्रत में भगवान नारायण की पूजा श्वेत वस्त्र धारण कर की जानी चाहिए। जो व्यक्ति मार्गशीर्ष माह में भगवान की पूजा करते हैं उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। इसलिए स्त्री व पुरुषों को यह व्रत जरूर करना चाहिए।

अखंड द्वादशी व्रत का महत्व- अखंड द्वादशी व्रत मार्गशीर्ष मास की द्वादशी तिथि को पड़ता है। यह परम पूजनीय कल्याणकारी होता है। इस तिथि को पितृ तर्पण आदि क्रियाएं की जाती है तथा श्रद्धा व भक्ति पूर्ण ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है तथा विभिन्न प्रकार के दान हवन यज्ञादि क्रियाएं भी की जाती हैं।  यह व्रत पवित्रता व शांत चित से श्रद्धा पूर्ण किया जाता है। यह व्रत मनोवांछित फलों को देने वाला और भक्तों के कार्य सिद्ध करने वाला होता है। इस व्रत को नित्यादि क्रियाओं से निवृत्त होकर श्रद्धा विश्वास पूर्ण करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि अगर इस व्रत को श्रद्धापूर्वक किया जाए तो व्यक्ति के पुत्र-पौत्र को धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

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