दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से || Vaibhav Vyas


 दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से

त्रयोदशी जिसे धनतेरस के नाम से जाना जाता है। इसी दिन से दीपावली का उत्सव पांच दिनों तक चलने वाला होता है जिसका धनतेरस पहला दिन होता है। धनतेरस पर धन की लक्ष्मी मां की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-आराधना करने से घर-परिवार के संकट दूर होकर धन और सुख-समृद्धि का वास होने वाला माना जाता है।

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी, कुबेर, यम और गणेशजी की पूजा का विधान माना गया है। अलग-अलग जगहों की मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन अलग से उपाय भी किए जाते हैं। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में मवेशियों को अच्छे से सजाकर उनकी पूजा करते हैं, माना जाता है ग्रामीणों के लिए पशु धन का सबसे ज्यादा महत्व होता है। कहीं-कहीं पर गायों को देवी लक्ष्मी के अवतार के रूप में मानते हैं इसलिए वहां के लोग गाय का विशेष सम्मान और आदर करते हैं।

वैसे तो पूरे कार्तिक मास में दीपदान का महात्म्य विशेष रहता है फिर भी धनतेरस के दिन दीपदान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त जिस घर में दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है। धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और घर के अंदर भी 13 दीप जलाने होते हैं। लेकिन यम के नाम का दीपक परिवार के सभी सदस्यों के घर आने और खाने-पीने के बाद सोते समय जलाया जाता है। इस दीप को जलाने के लिए पुराने दीपक का उपयोग किया जाता है जिसमें सरसों का तेल डाला जाता है। यह दीपक घर से बाहर दक्षिण की ओर मुख कर नाली या कूड़े के ढेर के पास रख दिया जाता है। इसके बाद जल चढ़ा कर दीपदान करते समय यह मंत्र बोलने की मान्यता रही है-

मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।

त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।।

वैसे तो धन तेरस के दिन कुछ-न-कुछ नया खरीदने का प्रचलन चला आ रहा है। फिर भी इस दिन विशेषकर सोना-चांदी और तांबा-पीतल खरीदने का प्रचलन है। कई जगहों पर पीली कौडिय़ां खरीदने का भी रिवाज है। धनतेरस के दिन खासकर धनिया खरीदना बहुत ही शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से भी धन का नुकसान नहीं होता है। धनतेरस के दिन आप कौड़ीयां खरीदें और यदि वे पीली ना हो तो उन्हें हल्दी के घोल में पीला कर लें। बाद में इनकी पूजा कर अपनी तिजोरी में रखें। इसके अलावा धनतेरस के दिन शुभ मुहूर्त देखकर बाजार से गांठ वाली पीली हल्दी अथवा काली हल्दी को घर लाएं। इस हल्दी को कोरे कपड़े पर रखकर स्थापित करें तथा षोडशपचार से पूजन करें।

धनतेरस के दिन जहां कुछ नया खरीदना उत्तम रहता है वहीं इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व माना गया है। इस दिन यदि चीनी, बताशा, खीर, चावल, सफेद कपड़ा आदि अन्य सफेद वस्तुएं दान करने भी धन में बढ़ोतरी होने के साथ ही कार्यों में आ रहीं बाधाएं भी दूर होंगी। इस दिन आप किसी मंदिर में जाकर केले का पौधा या कोई सुगंधित पौधा लगाएं। जैसे-जैसे ये हरे भरे और बड़े होंगे, आपको जीवन में भी सफलताएं बढ़ेंगी। इस दिन अन्न दान, वस्त्र दान, लोह दान और मंदिर में झाड़ू दान करने के भी प्रचलन है।

घर-परिवार के अलावा इस दिन व्यापारिक प्रतिष्ठानों या अपने ऑफिस आदि में मां लक्ष्मी की पूजा-आराधना के साथ ही बहीखातों की पूजा करना और लेखा-जोखा कार्य सम्पादित किया जाता है, जिससे प्रतिष्ठानों में वर्षभर निर्बाधता बनी रहे।

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