अमावस्या पर उपायों से पाएं कष्टों से मुक्ति || Vaibhav Vyas


 अमावस्या पर उपायों से पाएं कष्टों से मुक्ति

हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का खास महत्व बताया गया है। वहीं हिंदू पंचांग के अनुसार छठा महीना भाद्रपद में पडऩे वाली अमावस्या तिथि को भादौ या भाद्रपद अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसे कुशग्रहणी अमावस्या भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और पितरों का तर्पण करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अनुसार इन विशेष दिनों में कुछ उपायों को किया जाए तो जीवन में सुख-समृद्धि और आत्म संतुष्टि प्राप्त होने वाली होती है। 

भाद्रपद अमावस्या के दिन करें पितृ दोष से मुक्ति का उपाय- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाद्रपद अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में कुशा घास मिले जल से तर्पण करने पर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पितृ दोष समाप्त होने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही इस दौरान पितृ शांति मंत्र-

ऊँ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।

नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

ऊँ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।

शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्। का जाप करने से पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

शनि देव को प्रसन्न करने का उपाय- अमावस्या तिथि के दिन शनि देव की पूजा का भी विधान है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाद्रपद या भादो अमावस्या को शनि ग्रह से संबंधित वस्तुओं जैसे काला कंबल, काले तिल और सरसों की तेल का दान करना शुभ होता है। इससे कुंडली में शनि ग्रह को मजबूती मिलती है। आपका कोई जरूरी कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है और काम में लगातार कोई ना कोई अड़चन आ रही है तो भादौ अमावस्या के दिन किसी गौशाला में हरी घास या धन का दान करना चाहिए। जो लोग कुंडली में कालसर्प दोष के कारण पीड़ाओं का सामना कर रहे हैं उन्हें भाद्रपद अमावस्या के दिन चांदी की नाग-नागिन किसी मंदिर में दान कर देने या नदी में प्रवाहित करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।

धन प्राप्ति के लिए उपाय- जीवन में धन-धान्य बनाए रखने के लिए ज्योतिष शास्त्र अनुसार भाद्रपद अमावस्या पर शाम के समय पीपल के पेड़ की जड़ में चीनी मिला हुआ पानी अर्पित करें। साथ ही पेड़ के पास आटे के दीपक में पांच बत्ती रखकर जलाने से धन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। दीपक जलाने के बाद पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा अवश्य करें।

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