अल्प पूजा से ही प्रसन्न हो जाते हैं भोलेनाथ || Vaibhav Vyas


 अल्प पूजा से ही प्रसन्न हो जाते हैं भोलेनाथ

देवों के देव महादेव अल्प पूजा-उपासना से शीघ्र होने वाले भगवान माने जाते हैं। ऐसे में सावन मास में उनकी पूजा-उपासना शुभ फलदायी मानी जाती है वहीं सावन मास की पूर्णिमा के दिन शिव पूजा-उपासना के साथ कुछ उपायों को किया जाए तो शिवजी की कृपा सहज ही उन पर बरसने वाली होती है और कार्यों में मनोवांछित फल प्रदान करने वाली होती है। भोलेनाथ एक ऐसे देवता हैं, जो अपने भक्तों की पूजा से शीघ्र ही प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं। मान्यता है कि जिस व्यक्ति पर महादेव की कृपा बरसती है, उसके आस-पास भूलकर भी दु:ख-दारिद्रय नहीं भटकता है और उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है। शिव की पूजा अत्यंत ही सरल मानी गई है, जिन्हें आप मात्र जल और पत्ते से प्रसन्न कर सकते हैं। इतना ही यदि शिव की स्तुतियों का वाचन भक्ति भाव से कहीं भी कर लिया जाए तो भी भोलेनाथ भक्तों पर कृपा बरसाने वाले होते हैं। सच्ची भक्ति से भगवान शंकर की पूजा-उपासना आपके सभी कष्टों को हर कर सुख-संपत्ति और सौभाग्य प्रदान करते हैं।

भगवान शिव की पूजा में सफेद चंदन के प्रयोग का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि सोमवार के दिन या सावन की पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर सफेद चंदन से त्रिपुंड बनाने और बचे हुए चंदन को अपने माथे पर प्रसाद के रूप में लगाने से शिव साधक का समाज में मान-सम्मान बढ़ता है और उसकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती है।

भगवान शिव की पूजा का शुभ फल पाने के लिए महादेव की सबसे प्रिय चीज यानि रुद्राक्ष को जरूर चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। अत्यंत ही पवित्र और चमत्कारी रुद्राक्ष के बीज को शिवलिंग पर चढ़ाने से साधक के जीवन से जुड़ी सभी बाधाएं दूर होती हैं और उसे प्रसाद स्वरूप धारण करने पर हर समय उसके साथ महादेव का आशीर्वाद बना रहता है, लेकिन ध्यान रहे कि रुद्राक्ष को धारण करने और पहनने का अपना एक नियम है, जिसे प्रत्येक शिव साधक को पालन करना चाहिए।

भगवान शिव एक ऐसे देवता हैं जो सिर्फ फूल-पत्तियों को चढ़ाने मात्र से प्रसन्न होकर अपने साधक पर कृपा बरसा देते हैं। ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि आपकी मनोकामना शीघ्र ही पूरी हो तो सोमवार के दिन और विशेषकर सावन की पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र अथवा शमीपत्र अवश्य चढ़ाएं। मान्यता है कि भगवान शिव को बेल अत्यंत प्रिय है। ऐसे में यदि आपको किसी बेल के पेड़ के नीचे शिव पूजा, जप और दान करने का सौभाग्य प्राप्त हो तो अवश्य करें। शिव पूजा के इस उपाय को करने पर साधक को जीवन में कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं होती है और उसके पास हमेशा धन-धान्य भरा रहता है।

भगवान शिव की पूजा में गंगा जल का बहुत ज्यादा महत्व है। मान्यता है कि भगवान शिव की जटाओं से निकली गंगा के पावन जल को शिवलिंग पर चढ़ाने से व्यक्ति को अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाने से साधक को भोग ओर मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। भगवान शिव की पूजा का यह उपाय और भी ज्यादा शुभ फल देने वाला हो जाता है जब आप उत्तरवाहिनी गंगा का जल भगवान शिव को अर्पित करते हैं।

गंगा जल की तरह भगवान शिव की पूजा में चढ़ाए जाने वाले दूध का भी बहुत महत्व है। मान्यता है कि शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से साधक पर भगवान शिव के साथ चंद्र देवता की कृपा भी बरसती है। आर्थिक संकट से उबरने के लिए इस दिन न सिर्फ शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं बल्कि किसी मंदिर के पुजारी को दूध का दान भी करना चाहिए और दूध से बनी खीर का भोग चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर कच्चे दूध का इस्तेमाल करना चाहिए या फिर कच्चे दूध में पानी मिलाकर शिवलिंग पर अभिषेक करना चाहिए उसके बाद पुन: शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।

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