जन्माष्टमी पर करें श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा || Vaibhav Vyas


 जन्माष्टमी पर करें श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा

हिन्दू धर्म में भाद्रपद माह का धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्व है। भादों के महीने में व्रत-त्यौहारों के अलावा जन्माष्टमी का पर्व भक्तिभाव में सरोबार करने के लिए तैयार है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। ऐसे में कृष्ण जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लड्डू गोपाल की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है। उनका भव्य शृंगार किया जाता है, झूला झुलाया जाता है और उनकी प्रिय वस्तु माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है।

जन्माष्टमी की पूजा विधि- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में साफ- सफाई करें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें।

भगवान कृष्ण की पूजा सामग्री में एक खीरा, एक चौकी, पीला साफ कपड़ा, बाल कृष्ण की मूर्ति, एक सिंहासन, पंचामृत, गंगाजल, दीपक, दही, शहद, दूध, दीपक, घी, बाती, धूपबत्ती, गोकुलाष्ट चंदन, अक्षत (साबुत चावल), तुलसी का पत्ता, माखन, मिश्री, भोग सामग्री। बाल गोपाल के जन्म के बाद उनके श्रृंगार के लिए इत्र, कान्हा के नए पीले वस्त्र, बांसुरी, मोरपंख, गले के लिए वैजयंती माता, सिर के लिए मुकुट, हाथों के लिए चूड़ियां रखें। बाल गोपाल का जन्म रात में 12 बजे के बाद का है। इसी वजह से रात्रि 12 बजे उनकी पुन: पूजा करनी चाहिए। सबसे पहले आप दूध से उसके बाद दही, फिर घी, फिर शहद से स्नान कराने के बाद गंगाजल से अभिषेक किया जाता है, ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।

इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा का विशेष विधान है। ऐसे में लड्डू गोपाल का सर्व प्रथम जलाभिषेक करें और गोपीचंदन से स्नान कराएं। जलाभिषेक के बाद लड्डू गोपाल को नए वस्त्र यानी कि पोशाक पहनाएं। इसके पश्चात उनका शृंगार करें। इस दिन लड्डू गोपाल को झूले में बैठाकर जरूर झूला झुलाएं। अपनी इच्छानुसार लड्डू गोपाल को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं।

लड्डू गोपाल को माखन सबसे अधिक प्रिय है इसलिए इस दिन गोपाला को मखान मिश्री जरूर खिलाएं। लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें। इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था। रात्रि में शुभ मुहूर्त के तहत गोपाल को पंचामृत से स्नान कराएं। पुन: नई पोशाक धारण कराएं। रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें। लड्डू गोपाल को मिश्री के साथ- साथ मेवा का भोग भी लगाएं।  लड्डू गोपाल की आरती करें। इस दिन अधिक से अधिक लड्डू गोपाल का ध्यान रखें।  जितना हो सके उतना लड्डू गोपाल को लाड़ लड़ाएं। लड्डू गोपाल को चढ़ाए प्रसाद को सभी में वितरित करें।

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