सावन में शिवपुराण का वाचन श्रेयष्कर || Vaibhav Vyas


 सावन में शिवपुराण का वाचन श्रेयष्कर

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में शिव पुराण का वाचन करना सबसे श्रेयष्कर माना गया है। इसी वजह से प्रत्येक जातक को शिवपुराण का पाठ करना चाहिए क्योंकि यह पाठ ही आपको सारे कष्टों से मुक्ति दिलाने का माध्यम बन सकता है।

शिवपुराण एक प्रमुख तथा सुप्रसिद्ध पुराण है, जिसमें परात्मपर परब्रह्म परमेश्वर के शिव (कल्याणकारी) स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा एवं उपासना का सुविस्तृत वर्णन है। भगवान शिवमात्र पौराणिक देवता ही नहीं, अपितु वे पंचदेवों में प्रधान, अनादि सिद्ध परमेश्वर हैं एवं निगमागम आदि सभी शास्त्रों में महिमामण्डित महादेव हैं। इसी कारण लोग शिवलिंग की पूजा करते हैं। शिवपुराण में चौबीस हजार श्लोकों का समावेश है। सात संहिताओं से युक्त यह दिव्य शिवपुराण परब्रह्म परमात्मा के समान विराजमान है और सबसे उत्कृष्ट गति प्रदान करने वाला है। शिव पुराण के अनुसार शिव का अर्थ ही है- कल्याणदाता अर्थात केवल शिव की ही पूजा करने से इंसान के सारे दुखों का नाश हो जाता है।

सावन है शंकर जी का प्रिय महीना। महादेव को श्रावण मास वर्ष का सबसे प्रिय महीना लगता है। क्योंकि श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होने के आसार रहते हैं, जो शिव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करती है।

शिवपुराण में प्रमाण है कि एक बार रूद्रावतार हनुमान जी ने राजाओं से कहा था कि श्री शिवजी की पूजा से बढ़कर और कोई तत्व नहीं है। इसलिए अगर कष्टों से मुक्ति चाहिए तो शिव की अराधना कीजिये।

शिवमहापुराण ही मान्य- कहते हैं कि देवर्षि नारद के प्रश्न और ब्रह्मा जी के उत्तर पर ही श्री शिव महापुराण की रचना हुई है। चारों वेद और अन्य सभी पुराण, श्री शिवमहापुराण की तुलना में नहीं आ सकते। प्रभु शिव की आज्ञा से विष्णु के अवतार वेदव्यास जी ने श्री शिवमहापुराण को 24672 श्लोकों में संक्षिप्त किया है। ग्रन्थ विक्रेताओं के पास कई प्रकार के शिवपुराण उपलब्ध हैं परन्तु वे मान्य नहीं है, केवल 24672 श्लोकों वाला श्री शिवमहापुराण ही मान्य है।

मान्यताओं के अनुसार केवल शिवमहापुराण का वाचन-श्रवण ही भक्त को प्रभु की कृपा का पात्र बना सकता है। इसके लिए पूरी सच्ची निष्ठा-भक्ति, सात्विकता, निष्कपटता और प्रभु में अगाध श्रद्धा वालों को ही इसे सुनना चाहिए जिससे शुभ मिलने वाला रहता है। शिव पुराण में ही जीवन में आने वाली सभी तरह की समस्याओं के समाधानों का उल्लेख भी है जिन्हें अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन की इहलौकिक यात्रा को पूरा करके मोक्ष तक की प्राप्ति कर सकता है।

सावन महीना शिवजी का सबसे प्रिय महीना है इसी वजह से शिवपुराण की महिमा इस माह में विशेष हो जाती है और इसके फल शीघ्र फलदायी और शुभ फलदायी बन जाते हैं। कहा भी गया है कि शिव की महिमा बखानी नहीं जा सकती, इसे तो केवल तत्व की दृष्टि से ही जाना और पहचाना जा सकता है।

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