पीपल वृक्ष की पूजा से ग्रह दोषों से मुक्ति || Vaibhav Vyas


 पीपल वृक्ष की पूजा से ग्रह दोषों से मुक्ति

गीता में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं बताया है कि 'अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणांÓ अर्थात मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूंÓ इस कथन में उन्होंने अपने आपको पीपल के वृक्ष के समान ही बताया है। इसलिए धार्मिक दृष्टि से पीपल के पेड़ बेहद ही खास माना जाता है। हिन्दू धर्म में पीपल को देव वृक्ष माना जाता है। माना जाता है पीपल के पेड़ पर सभी देवताओं का वास होता है। नियमित रूप से इसकी पूजा करने से मन भयमुक्त रहता है साथ ही शनि ग्रह के प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है। जो व्यक्ति नियमित रूप (रविवार को छोड़कर) से पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करता है उसकी कुंडली से ग्रहों का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।

काल सर्पदोष से भी मिलेगी मुक्ति- पीपल की परिक्रमा करने से कुंडली में काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

शनिवार को करें ये उपाय- शनिवार के दिन पीपल को दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ऊँ नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करने से ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है।

कुंडली से दूर होता है पितृ दोष- पीपल की रोपाई और उसका संवद्र्धन करने से कुंडली में पितृ दोष दूर होता है।


शनि का प्रभाव कम करने के लिए- शनि की साढ़े साती और ढैया के प्रभाव से बचने के लिए हर शनिवार को पीपल के पेड़ पर गुड़, दूध मिश्रित जल चढ़ाकर उसकी सच्ची श्रद्धा के साथ आराधना करें। उसके पश्चात पीपल की सात बार परिक्रमा करें। शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाएं। ये उपाय नियमित करने से शनि से संबंधित सभी दोषों से मुक्ति मिलती है।

अमावस्या के दिन अवश्य करें पीपल की पूजा- अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करने और दीप दिखाने से पितृ दोष दूर होता है।

पीपल की परिक्रमा से सौभाग्य में वृद्धि- शनैश्चरी अमावस्या के दिन पीपल पूजन करने से सौभाग्य बढ़ता है और पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पीपल के वृक्ष में इस दिन अन्य देवताओं एवं पितरों वास माना गया है इसलिए शनैश्चरी अमावस्या पर पीपल की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। पुण्यों में वृद्धि के लिए इस दिन पीपल की पूजा के साथ-साथ वृक्ष की परिक्रमा भी अवश्य करनी चाहिए।

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