एकादशी व्रत से अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य || Vaibhav Vyas


 एकादशी व्रत से अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य

प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत आदि रखने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार अजा एकादशी 23 अगस्त, मंगलवार के दिन पड़ रही है। 

शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत रखने और पूजा-पाठ करने से पापों का नाश होता है। व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान ऋषिकेश की पूजा करने और व्रत कथा का श्रवण आदि करने से मृत्यु के बाद विष्णु लोक में स्थान की प्राप्ति होती है।

पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी 23 अगस्त के दिन है। इस दिन प्रात: 03 बजकर 35 मिनट से प्रारंभ होकर तिथि का समापन 24 अगस्त बुधवार सुबह 05 बजकर 54 मिनट तक है। मान्यताओं के चलते उदयातिथि के आधार पर एकादशी का व्रत 23 अगस्त के दिन रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार अजा एकादशी के दिन कई योगों का निर्माण हो रहा है, जो एकादशी के महत्व और अधिक बढ़ा देते हैं। इस दिन सिद्धि और त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। इन दोनों योगों को पूजा-पाठ की दृष्टि से शुभ माना गया है। 23 अगस्त को सिद्धि योग प्रात: काल से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा, वहीं, त्रिपुष्कर योग सुबह 10 बजकर 44 मिनट से अगले दिन 24 अगस्त तक प्रात: 05 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। 23 अगस्त को एकादशी का व्रत रख रहे जातकों को भगवान विष्णु की पूजा सुबह के समय ही कर लेनी चाहिए। इस समय सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग रहेगा। ऐसे में पूजा करना शुभ फलदायी होगा। इस दिन राहुकाल का समय 3 बजकर 38 मिनट से शाम 05 बजकर 15 मिनट तक है।

एकादशी के व्रत में पारण का भी विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि अगर व्रत का पारण सही से न किया जाए, तो व्यक्ति को व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। अजा एकादशी के व्रत का पारण 24 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर 08 बजकर 30 मिनट के बीच कर लें, इसके बाद द्वादशी तिथि का आरंभ हो जाएगा। शास्त्रों के अनुसार द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करना शुभ नहीं माना जाता।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन नियमित व्रत-उपासना करने वाले अगर किन्हीं कारण वश व्रत-उपासना नहीं कर पाएं तो इस दिन सिर्फ कथा का श्रवण करने से ही अश्वमेध यज्ञ जितने पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए किसी भी एकादशी के व्रत में कथा का श्रवण-वाचन महत्वपूर्ण हो जाता है। इस दिन व्रत करने वालों को व्रत से संबंधित कथा का श्रवण-वाचन अवश्य करना चाहिए, जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होने वाला रहता है।

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