जप-तप और व्रत-दान का मास भाद्रपद || Vaibhav Vyas


 जप-तप और व्रत-दान का मास भाद्रपद

सनातन परंपरा में भाद्रपद मास का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है क्योंकि इसी माह में भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव और गणेश उत्सव मनाया जाता है। इसके अलावा भी भाद्रपद मास में मेले-मगरियों की वजह से जगह-जगह भक्ति में सरोबार भक्तों की रेलमपेल चहुं ओर नजर आने वाली होती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद छठवां महीना है। भक्ति में डूबे इस पावन मास में जप, तप, व्रत, दान और खान-पान से जुड़े कुछ विशेष नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, तो वही इसकी अनदेखी करने पर विपरीत स्थितियां देखने को मिलती है।

ऐसे में भाद्रपद मास में भगवान की पूजा-आराधना के साथ कुछ उपायों को किया जाए तो उसका शुभ फल मिलने वाला माना गया है। मान्यताओं के अनुसार जिन लोगों को विवाह के लंबे समय बाद भी अब तक संतान सुख नहीं मिल पाया है, उन्हें भाद्रपद मास में अपनी इस कामना को पूरा करने के लिए विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। संतान सुख को पाने के लिए भाद्रपद मास में विशेष रूप से भगवान कृष्ण की पूजा करें। मान्यता है कि यदि भाद्रपद मास से घर में लड्डू गोपाल को बिठाकर प्रतिदिन संतान गोपाल मंत्र का पाठ किया जाए तो शीघ्र ही कान्हा की कृपा से सूनी गोद भर जाती है। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के इस उपाय में प्रसाद के साथ तुलसी दल अवश्य अर्पित करना चाहिए।

भाद्रपद मास में न सिर्फ प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करना चाहिए बल्कि सायंकाल भी ईश्वर की पूजा से पहले स्नान करना चाहिए। भाद्रपद मास में ईश्वर की भक्ति और व्रत पूजन करते भूलकर भी किसी के लिए मन में गलत भावना नहीं लाना चाहिए और न ही अपशब्द या झूठ बोलना चाहिए। भाद्रपद मास में पुण्य की प्राप्ति और पाप से मुक्ति पाने के लिए व्रत जप के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। भाद्रपद मास में साधक को सात्विक भोजन करना चाहिए। भाद्रपद मास में नए घर का निर्माण, गृह प्रवेश, विवाह आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। भाद्रपद मास में साधना करने वाले व्यक्ति को पलंग में नहीं सोना चाहिए। जप-तप के इस मास में अधिक से अधिक समय पूजा-आराधना में व्यतीत करना चाहिए, जिससे मन में सकारात्मकता का वास होने वाला रहता है। साथ ही जरूरतमंदों को यथासंभव दान-पुण्य करना चाहिए। भाद्रपद मास में श्री कृष्ण की भक्ति का मास माना जाता है इसी वजह से इस महीने में विशेषकर गायों को हरी घास और सुबह-सुबह रोटी खिलानी चाहिए।

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