श्रावण मास भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इस महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। इस महीने में पडऩे वाले व्रत और त्योहार का महत्व अधिक बढ़ जाता है। सावन के महीने में पडऩे वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। हर महीने में दो प्रदोष व्रत रखें जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस व्रत को करने से कुंडली में चंद्र दोष दूर होता है। इस व्रत के दिन भोलेनाथ की पूजा होती है।
प्रदोष व्रत के दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद भगवान शिव की पूजा करने का संकल्प लें। इसके बाद घर के पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल छिड़के फिर भगवान शिव की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। भगवान के सामने घी का दीपक का जलाएं। भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि का अभिषेक करें। भोलनाथ की विधि- विधान से पूजा करने के बाद माता पार्वती और गणेश जी की पूजा अर्चना करें। इस दिन भगवान शिव को खीर का भोग चढ़ाएं।
अगर आप इस दिन व्रत रखते हैं तो शाम के समय में प्रदोष काल में भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करने के पश्चात प्रसाद ग्रहण करने से घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है। विशेषकर इस दिन सात्विक भोजन करें। भोलेनाथ का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस दिन शिवाष्टक और चालीस पढऩा लाभदायक होता है।
ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखने के साथ-साथ दिन भर जितना अधिक भोलेनाथ का ध्यान, मंत्र जाप और शिवालय में अभिषेक किया जाता है, उतनी ही घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है। इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। मान्यता है कि भोलनाथ अपने भक्तों से सबसे जल्दी प्रसन्न होते हैं।
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