शिव पूजन से सुखों की प्राप्ति || Vaibhav Vyas


 शिव पूजन से सुखों की प्राप्ति

हिंदू धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि काल भी महाकाल भगवान शिव की पूजा करने वाले का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाता। मान्यता है कि देवों के देव महादेव का पूजन विधि-विधान से किया जाए तो व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। 

भगवान शिव शंकर की पूजा- सोमवार भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे पावन दिन माना जाता है कहते हैं कि भगवान भोलेनाथ बेहद दयालु और कृपालु है। वे मात्र शिवलिंग पर जल अर्पित करने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि काल भी महाकाल भगवान शिव की पूजा करने वाले का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाता। मान्यता के अनुसार, भगवान शिव की पूजा  करने से व्यक्ति को जीवन में हर वह सुख मिलता है, जिसकी वह कामना करता है। मान्यता है कि भगवान शिव भक्तों से प्रसन्न होकर उनकी अपनी कृपा बरसाते हैं और उन्हें मालामाल कर देते हैं।

मान्यता है कि देवों के देव महादेव का पूजन विधि-विधान से किया जाए तो व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। भगवान शिव की पूजा के कुछ नियम हैं, जिनके बारे में शिव भक्तों को उनकी पूजा उसी अनुरूप करनी चाहिए।

सोमवार के दिन इस विधि से करें महादेव की पूजा- सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों को पूरा कर स्नानादि कर निवृत्त हो जाएं। पूजा स्थल पर बैठकर चौकी पर भगवान शिव और पार्वती का चित्र स्थापित कर पवित्रीकरण करें। भगवान शिव का जल से अभिषेक करें। पूजा में शिव जी को बिल्व पत्र, धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल अर्पित करें। भगवान शिव के साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल और दूध चढ़ाएं शिवलिंग पर धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल अर्पित करें। सभी को तिलक लगाएं और फिर धूप, दीप जलाएं। भगवान शिव शंकर को घी, शक्कर या प्रसाद का भोग लगाएं

महामृत्युंजय मंत्र और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। संभव हो तो इस दिन व्रत जरूर रखें। शाम को पूजा करने के बाद कर व्रत खोलें।

सबसे पहले गणेश जी की आरती करें और फिर शिवजी की आरती करे। इस दिन दान करने से भी शिव जी प्रसन्न होते हैं। सोमवार के दिन भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती और नंदी को भी गंगाजल चढ़ाना चाहिए। संभव हो तो गाय के कच्चे दूध से अभिषेक करें। इस दौरान ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। पंचामृत से अभिषेक करने के बाद भोलेनाथ को चंदन, अक्षत, बिल्व पत्र, धतूरा या आंकड़े के फूल जरूर चढ़ाने चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते है।

वैदिक शिव पूजन विधि- शिव पूजन- किसी भी पूजन से पूर्व पूजन सामाग्री को यथाक्रम यथास्थान रखकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके शुद्ध आसन पर बैठकर पहले आचमन और प्राणायाम, पवित्री-धारण, शरीर-शुद्धि और आसन-शुद्धि कर लेनी चाहिये। तत्पश्चात् स्वस्ति का पाठ करे, फिर संकल्प कर गौरी-गणपति पूजन, कलश स्थापन, पुण्याहवाचन और नवग्रह मण्डल का पूजन करना चाहिये। इसके बाद भगवान शिव का वैदिक पूजन करने के लिए पहले शिव-परिवार उनके परिकर-परिच्छद एवं पार्षदों का पूजन करना चाहिये। तत्पश्चात् ही भगवान शिव जी का पूजन प्रारम्भ करें।

गणेश पूजन-

ऊँ लम्बोदरं महाकायं गजवक्त्रं चतुर्भुजम्।

आवाहयाम्यहं देवं गणेशं सिद्धिदायकम्॥

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