सावन में रुद्राष्टकम् का वाचन विशेष फलदायी || Vaibhav Vyas


 सावन में रुद्राष्टकम् का वाचन विशेष फलदायी

हिंदू धर्म में सावन माह का बहुत अधिक महत्व होता है। सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान शंकर धरती में ही रहते हैं। सावन माह में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भगवान शिव अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। सावन माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। आप सावन में रोजाना इन उपायों को कर भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं। 

सावन माह में भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर प्रतिदिन गंगा जल अर्पित करें। हिंदू धर्म में गंगा जल को पवित्र माना जाता है। शिवलिंग पर गंगा जल अर्पित करते समय रुद्राष्टकम का पाठ करना विशेष फलदायी माना गया है।

।।श्री रुद्राष्टकम।। 

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद: स्वरूपम्।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्॥

निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्।

करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्।

स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥

चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्।

मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि॥

प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्।

त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।

चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्।

न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्।

जरा जन्म दु:खौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो॥

रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये

ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।।

।। इति श्रीगोस्वामीतुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥

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