श्रावण मास : बम बोलिये और घर से कलह दूर कीजिये || Vaibhav Vyas


 श्रावण मास : बम बोलिये और घर से कलह दूर कीजिये

ऐसी मान्यता है कि भगवान भूतनाथ गौरा पार्वती के साथ पृथ्वी लोक पर विराजमान रहकर पृथ्वी वासियों के दु:ख दर्द को समझते है एंव उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। महादेव को श्रावण मास वर्ष का सबसे प्रिय महीना लगता है। क्योंकि श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होने के आसार रहते हैं, जो शिव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करती एंव हमारी कृषि के लिए भी अत्यन्त लाभकारी है। भगवान शंकर ने स्वयं सनतकुमारों को सावन महीने की महिमा बताई है कि मेरे तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बांये चन्द्र और अग्नि मध्य नेत्र है। हिन्दू कैलेण्डर में महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखें गयें है। सावन में बम बम बोलिए और घर के कलह दूर कीजिये जैसे वर्ष का पहला माह चैत्र होता है, जो चित्रा नक्षत्र के आधार पर पड़ा है, उसी प्रकार श्रावण महीना श्रवण नक्षत्र के आधार पर रखा गया है। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चन्द्र होता है। चन्द्र भगवान भोले नाथ के मस्तक पर विराजमान है। जब सूर्य कर्क राशि में गोचर करता है, तब सावन महीना प्रारम्भ होता है। सूर्य गर्म है एंव चन्द्र ठण्डक प्रदान करता है, इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से बारिस होती है। जिसके फलस्वरूप लोक कल्याण के लिए विष को ग्रहण करने वाले देवों के देव महादेव को ठण्डक व सुकून मिलता है। यही कारण है कि शिव का सावन से इतना गहरा लगाव है।

बेल वात, पित्त व कफ को नियन्त्रित करता है तथा पाचन संस्थान को बलवान बनाता है। आयुर्वेद में बेल की बड़ी महिमा बताई गई है। यह एक जगंली पेड़ जो आम-तौर पर लोग अपने घर में इसे नहीं लगाते हैं। बेल की पत्तियों को जितना तोड़ा जायेगा इस पेड़ का उतना ही विकास होगा। यह प्रकृति की अनमोल कृति बची रही है, इसलिए इसकी पत्तियों को भगवान शंकर पर चढ़ाया जाता है।

बिल्वपत्र कैसे चढ़ायें

1- बिल्वपत्र भोलेनाथ पर सदैव उल्टा रखकर अर्पित करें। 2- बिल्वपत्र में चक्र एंव वज्र नहीं होने चाहिए। कीड़ों द्वारा बनाये हुये सफेद चिन्हों को चक्र कहते हैं और डंठल के मोटे भाग को वज्र कहते है। 3- बिल्वपत्र कटे या फटे न हो। ये तीन से लेकर 11 दलों तक प्राप्त होते हैं। रूद्र के 11 अवतार है, इसलिए 11 दलों वाले बिल्वपत्र चढ़ायें जाये ंतो महादेव ज्यादा प्रसन्न होंगे। 4- बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों तक पाप नष्ट हो जाते हंै। 5- शिव के साथ पार्वती जी पूजा अवश्य करें तभी पूर्ण फल मिलेगा। 6- पूजन करते वक्त रूद्राक्ष की माला अवश्य धारण करें। 7- भस्म से तीन तिरछी लकीरों वाला तिलक लगायें। 8- शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए। 9- शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही करें। 10- शिव जी पर केंवड़ा व चम्पा के फूल कदापि न चढ़ायें। शिव जी के 11 नामों का उच्चारण करने से हर मनोकामना पूर्ण होगी- 1- ऊॅ अघोराय नम: 2- ऊॅ शर्वया नम: 3- ऊॅ महेश्वराय नम: 4- ऊॅ ईशानाय नम: 5- ऊॅ शूलपाणे नम: 6- ऊॅ भैरवाय नम: 7- ऊॅ कपर्दिने नम: 8- ऊॅ त्रयम्बकाय नम: 9- ऊॅ विश्वरूपिणे नम: 10- ऊॅ विरूपक्षाय नम: 11- ऊॅ पशुपते नम:।

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