कोकिला वन का शनिदेव मंदिर सिद्ध मंदिर || Vaibhav Vyas


 कोकिला वन का शनिदेव मंदिर सिद्ध मंदिर

द्वापरयुग में बंसी बजाते हुये एक पैर पर खड़े हुये भगवान श्रीकृष्ण ने शनिदेव की पूजा-अर्चना से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिये और कहा कि नंदगांव से सटा 'कोकिला वनÓ उनका वन है। जो इस वन की परिक्रमा करेगा और शनिदेव की पूजा करेगा, वह मेरी व शनिदेव दोनों की कृपा प्राप्त करेगा। इस कारण से कोकिलावन के शनिदेव मंदिर को सिद्ध मंदिर का दर्जा प्राप्त है।

इसके इतर स्कन्द पुराण में वृतांत है कि एक बार शनिदेव ने अपने पिता सूर्यदेव से कहा कि मैं ऐसा पद प्राप्त करना चाहता हूं जो आज तक किसी ने प्राप्त न किया हो, मेरी शक्ति आप से सात गुणा अधिक हो, मेरे वेग का सामना कोई देव-दानव-साधक आदि न कर पायें और मुझे मेरे आराध्य श्रीकृष्ण के दर्शन हों।

शनिदेव की यह अभिलाषा सुन सूर्यदेव गदगद हुये और कहा कि मैं भी यही चाहता हूं कि मेरा पुत्र मुझसे भी अधिक महान हो, परंतु इसके लिये तुम्हें तप करना पड़ेगा और तप करने के लिये तुम काशी चले जाओ, वहां भगवान शंकर का घनघोर तप करो और शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शंकर से अपने मनोवांछित फलों का आशीर्वाद लो। 

शनिदेव ने अपनी पिता की आज्ञानुसार वैसा ही किया और तप करने के बाद वर्तमान में भी मौजूद शिवलिंग की स्थापना की। इस प्रकार काशी विश्वनाथ मंदिर के स्थल पर शनिदेव को भगवान शंकर से आशीर्वाद के रूप में सर्वोपरि पद मिला।

शनिदेव बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त हैं। न्याय, ईमानदारी और अनुशासन शनिदेव में भगवान कृष्ण की कृपा से ही आता है। भगवान श्रीकृष्ण और शनि महाराज में कई गुण एक जैसे ही हैं।

पुराणों के अनुसार, भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए शनि महाराज ने कोकिला वन में तपस्या की थी। श्रीकृष्ण ने कोयल रूप में ही शनिदेव को दर्शन दिए। तब से श्रीकृष्ण के किसी भी भक्त को शनि महाराज परेशान नहीं करते हैं। शनि देव की साढ़े साती या ढैय्या पीड़ा दे रही हो तो भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। उन्हें रोज चंदन, पीले पुष्प और तुलसी का दल अर्पित करें। साथ ही कृष्ण मंत्र ओम कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:। का दोनों वेला 108 बार जप करें। शनि देव कृष्ण के भक्त होने की वजह से श्री कृष्ण के इस मंत्र जाप से शनि देव की किसी भी तरह की दशा-महादशा का असर कम होने वाला माना गया है। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान कृष्ण की उपासना करने से शनि शांत होते हैं। साथ ही पवित्र संगम और गंगा स्नान करने के पश्चात दान-पुण्य करने से भी शनिदेव को आप प्रसन्न कर सकते हैं, जिससे जीवन में सुख-शांति का वास होगा।

Comments