रवि प्रदोष व्रत से शिव के साथ सूर्य की भी कृपा प्राप्त होगी || Vaibhav Vyas


 रवि प्रदोष व्रत से शिव के साथ सूर्य की भी कृपा प्राप्त होगी

प्रदोष व्रत माह के प्रत्येक त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। हिंदू पंचांग का चौथा माह आषाढ़ का महीना 15 जून से शुरू हो गया है। इस महीने का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जायेगा जो कि 26 जून रविवार को पड़ेगा। यह जून माह का दूसरा और अंतिम प्रदोष व्रत भी होगा। आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत चूंकि रविवार को पड़ेगा, इसलिए यह रवि प्रदोष व्रत होगा। जहां रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है वहीं प्रदोष व्रत भगवान शिव को। ऐसे में रवि प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव के साथ-साथ सूर्य की भी कृपा प्राप्त होगी। इनकी कृपा से सेहत अच्छी होती है और जीवन में खुशहाली आती है। शिव जी के आशीर्वाद मात्र से मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और वंश, धन, संपत्ति आदि में वृद्धि होती है। वहीं सूर्य की कृपा से भक्त को जीवन में सफलता मिलती उनके जीवन से अंधकार समाप्त हो जाता है। सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। धार्मिक मान्यता है कि आषाढ़ माह में मंगल की पूजा का भी शुभ लाभ प्राप्त होता है।

रवि प्रदोष व्रत 2022 तिथि- पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 जून रविवार को 1 बजकर 09 मिनट पर प्रारंभ होगी और इसका समापन 27 जून सोमवार को 3 बजकर 25 मिनट पर होगा।

रवि प्रदोष व्रत 2022 पूजा मुहूर्त- पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 26 जून को शाम 07 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 23 मिनट तक है। इस प्रकार भक्तों को शिव पूजा के लिए  दो घंटे का समय प्राप्त होगा। प्रदोष व्रत के दिन का शुभ समय या अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक है। शुभ मुहूर्त में की गई पूजा-उपासना शीघ्र फलदायी होने वाली रहती है।

प्रदोष व्रत करने से जीवन में संतान, सुख, आरोग्य, धन, संपत्ति, समृद्धि की कभी कमी नहीं रहती और साथ ही साथ शिव जी की कृपा भी मिलती है। मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत करने वालों को विधि-विधान से इस दिन प्रदोष वेला में शिव जी का पूजन-अर्चन करना चाहिए साथ ही शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय और शिव स्त्रोत का पाठ करना चाहिए जिससे शिव प्रसन्न होकर उन पर कृपा बरसाते हैं।

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