पूर्णिमा पर किए गए उपायों से मनोकामनाओं की पूर्ति || Vaibhav Vyas


 पूर्णिमा पर किए गए उपायों से मनोकामनाओं की पूर्ति

हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा का काफी महत्व है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के व्रत को बेहद पवित्र माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना के साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा शीघ्र फलदायी मानी गई है। ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत रखने के साथ ही साथ कुछ उपायों को किया जाए तो धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

पूर्णिमा तिथि पर 11 कौडिय़ां लेकर एक लाल कपड़े में रखकर घर के मंदिर में मां लक्ष्मी के चरणों में रख दें। इसके बाद मां लक्ष्मी का पूजन करें और कौडिय़ों पर हल्दी या केसर से तिलक करें। अब कुछ समय बाद वे कौडिय़ां उठाकर कपड़े समेत अपनी तिजोरी में रख दें। इससे माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहेगी।

ज्येष्ठ पूर्णिमा  पर चंद्रदेव का पूजन करने के साथ ही दूध में शहद और चंदन मिलाकर चंद्रमा को अघ्र्य देना चाहिए। चन्द्रमा को मन का कारक ग्रह माना गया है जिससे मन में संतुष्टि और सकारात्मकता आती है साथ ही सभी इच्छाएं पूरी होती है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन प्रात: उठकर पीपल के वृक्ष पर कुछ मीठा अर्पित करने चाहिए और जल अर्पित करना चाहिए। इससे जीवन की समस्याएं दूर हो जाती है और सुख-समृद्धि का वास होने लगता है।

आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर ऊँ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम: या ऊँ ऐं क्लीं सोमाय नम: मंत्र का जाप करते हुए अध्र्य देना चाहिए। ऐसा करने से धीरे-धीरे आर्थिक समस्याएं खत्म हो जाती हैं।

शास्त्रों में इस बात का वर्णन है कि पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा चढ़ाकर जल अर्पित करना चाहिए, जिससे मां की कृपा से सुख-शांति और सम्पन्नता का वास होने लगता है।

वैवाहिक जीवन में मधुरता के लिए पूर्णिमा के दिन पति-पत्नी में से किसी को चंद्रमा को अघ्र्य अवश्य देना चाहिए। पति- पत्नी साथ में अघ्र्य दे सकते हैं तो और भी उत्तम माना गया है। इस उपाय से आपके दांपत्य जीवन में प्रेम और मधुरता का रस बना रहेगा।

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