गंगा दशहरा पर गंगा स्नान से होता पापों का नाश || Vaibhav Vyas

 गंगा दशहरा पर गंगा स्नान से होता पापों का नाश

गंगा दशहरा के दिन जो मनुष्य गंगा स्नान करके पूजा पाठ और दान करता है, उसके सारे पापों का नाश हो जाता है। भगवान विष्णु ऐसा करने वालों से प्रसन्न होते हैं। इस दिन पूजा करते समय मां गंगा के मंत्र- ऊँ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नम:Ó का जाप करना विशेष फलदायी माना गया है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा भगीरथ ने अपने पुरखों की आत्माओं को मुक्ति दिलाने के लिए गंगा नदी को धरती पर लाने का श्रेय प्राप्त किया है। कहा जाता है कि जिस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुईं, वह दिन जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी। वहीं, इस दिन आनंद योग और व्यतिपात योग तथा हस्त नक्षत्र जैसे शुभ संयोग भी बने थे। यही वजह है कि गंगा दशहरा के दिन बनने वाले इस संयोग में जब कोई व्यक्ति गंगा स्नान कर प्रभु को याद करता है, और अपने जीवन काल में किए गए सभी अपराधों की क्षमा - प्रार्थना मांगता है, तो इस दिन मनुष्य के सभी अपराधों से उसे मुक्ति मिल जाती है।

जिस प्रकार गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति पाने का मार्ग बताया गया है, ठीक उसी प्रकार शास्त्र कहते हैं कि गंगा दशहरा के दिन जान-बूझकर अगर आप किसी गलत कार्य को करते हैं, जैसे कि झूठ बोलते हैं, किसी की चुगली करते हैं, तथा पराई स्त्री पर नजर डालते हैं, और चोरी हिंसा जैसे वर्जित कार्य को करते हैं, तो इसकी कठोर सजा भी आपको प्राप्त होती है। इसलिए शुद्ध सात्विकता के साथ गंगा स्नान विशेष फलदायी रहता है। शास्त्रों के अनुसार गंगा दशहरे के दिन बेहद संयमित और साधारण जीवन चर्या का पालन करना चाहिए, और जहां तक संभव हो प्रभु का ध्यान करना चाहिए।

गंगा दशहरा के दिन अगर गंगा नदी में स्नान करना आपके लिए संभव नहीं है, तो आप अपने घर में ही गंगा जल मिलाकर स्नान करें, और योग्य याचकों को दान-दक्षिणा देकर पुण्य प्राप्त करना चाहिए।

स्नान के बाद ध्यान रहे कि आपको सबसे पहले सूर्य देव को अघ्र्य देना होता है, और इसके बाद ब्राह्मणों और गरीबों को अपनी क्षमता अनुसार दान देना होता है। स्नान के समय आप ओम श्री गंगे नम: का उच्चारण कर सकते हैं।

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