रवि प्रदोष व्रत से यश-वैभव की प्राप्ति || Vaibhav Vyas


 रवि प्रदोष व्रत से यश-वैभव की प्राप्ति

पंचांग के अनुसार, जून का पहला और ज्येष्ठ मास का दूसरा प्रदोष व्रत 12 जून रविवार को रखा जयेगा। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि रविवार के दिन होने की वजह से यह प्रदोष व्रत रवि प्रदोष व्रत कहलाएगा। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत बड़ा महत्व है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव जी की पूजा की जाती है। चूँकि इस दिन रविवार भी है। रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है। ऐसे में इस रवि प्रदोष व्रत में भगवान शिव शंकर और माता पार्वती के साथ सूर्य देव की विधि पूर्वक पूजा करने से अपार धन-संपत्ति, सुख और वैभव की प्राप्ति होने वाली मानी गई है।

पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 12 जून दिन रविवार को प्रात: काल  3 बजकर 23 मिनट पर हो रहा है तथा त्रयोदशी तिथि उसी दिन 12 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में रवि प्रदोष व्रत पूजा का मुहूर्त 12 जून को शाम 07 बजकर 19 मिनट से रात 09 बजकर 20 मिनट तक है।

ज्येष्ठ शुक्ल रवि प्रदोष व्रत के दिन इस बार दो शुभ योग- शिव योग और सिद्ध योग का निर्माण हो रहा है। शिव योग शाम 05 बजकर 27 मिनट तक रहेगा, उसके पश्चात सिद्ध योग होगा, जो पूरी रात रहेगा। ये दोनों ही योग मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम माने जाते हैं। ऐसे योग में की गई पूजा-आराधना शीघ्र फलदायी होने के साथ ही साथ मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली मानी गई है। इस दिन व्रत करने वालों को शिव परिवार का पूजन करने के पश्चात इससे संबंधित कथा का श्रवण-वाचन करने से पूर्ण फल की प्राप्ति होने वाली मानी गई है।

पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में गरीब ब्राह्मण परिवार रहता था। उस ब्रह्मण की पत्नी प्रदोष व्रत विधिपूर्वक करती थी। एक दिन उसका बेटा गांव से कहीं बाहर जा रहा था, तभी रास्ते में कुछ चोरों ने उसे घेर लिया। चोरों ने उसकी पोटली छीन ली और उससे अपने घर के गुप्त धन के बारे में बताने को कहा। बालक ने कहा कि पोटली में रोटी के अलावा कुछ नहीं है और उसका परिवार बहुत ही गरीब है, उसके घर में कोई गुप्त धन नहीं है। चोरों ने उसे छोड़ दिया और आगे बढ़ गए। वह बालक नगर में एक बरगद के पेड़ के नीचे छाए में सो गया, तभी राजा के सिपाही चोरों को खोजते हुए वहां आए और उस बालक को ही चोर समझ कर ले जाकर जेल में बंद कर दिया।

सूर्यास्त के बाद भी जब बालक घर नहीं पहुंचा तो उसकी मां परेशान हो गई। उस दिन उसके प्रदोष व्रत था। उसने शिव पूजा के समय भोलेनाथ से प्रार्थना की कि उसका पुत्र कुशल हो, उसकी रक्षा करें। भगवान शिव ने उस मां की पुकार सुन ली, फिर शिव जी ने राजा को स्वप्न में बालक को जेल से मुक्त करने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि वह बालक निर्दोष है, उसे बंदी बनाकर रखोगे, तो तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा। अगले दिन सुबह राजा ने उस बालक को रिहा करने का आदेश दिया। बालक राजदरबार में आया और उसने पूरी घटना राजा को बताई। इस पर राजा ने उसे माता पिता को दरबार में बुलाया। ब्राह्मण परिवार दरबार में बुलाए जाने के आदेश डरा हुआ था। जैसे-तैसे वे राजा के दरबार में गए। राजा ने कहा कि आपका पुत्र निर्दोष है, उसे मुक्त कर दिया गया है। राजा ने ब्राह्मण परिवार की जीविका के लिए पांच गांव दान कर दिए। भगवान शिव की कृपा से वह ब्राह्मण परिवार सुखीपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा। इस प्रकार से प्रदोष व्रत की महिमा का बखान किया गया है।

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