निर्जला एकादशी व्रत कथा || Vaibhav Vyas


 निर्जला एकादशी व्रत कथा

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी के रूप में मनाई जाती है। इस एकादशी का महत्व इसी से पता चल जाता है कि यदि साल भर की एकादशी का व्रत नहीं किया और केवल निर्जला एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान से कर लिया जाए तो सम्पूर्ण एकादशियों का फल प्राप्त होने वाला रहता है। कोई भी एकादशी हो, उस दिन व्रत करने वालों को उससे संबंधित कथा का वाचन-श्रवण करने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होने वाला माना गया है। इसलिए व्रत करने के साथ ही साथ उस दिन उससे संबंधित कथा का वाचन-श्रवण अवश्य करना चाहिए। निर्जला एकादशी व्रत की कथा।

जब महान ऋषि वेदव्यास जी ने पांडवों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष आदि का ज्ञान कराने वाली एकादशी का व्रत करने को कहा तो भीम ने कहा पितामह आपने तो प्रति पक्ष एक दिन व्रत करने को कहा है लेकिन मैं तो एक दिन क्या एक समय भी भोजन बगैर नही रह सकता। मेरे पेट में जो वक्र नाम की अग्नि है उसे शांत करने के लिए मुझे तो दिन में कई बार कई लोगों जितना भोजन करना पड़ता है मैं तो इस व्रत से वंचित रह जाऊंगा। तब पितामह ने भीम की समस्या का हल करते हुए कहा की धर्म की यही विशेषता है वह सबको धारण करने के साथ-साथ सबको सहज साधन भी उपलब्ध करवाता है। आप ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एक ही एकादशी का व्रत करो आपको इस साल की सारी एकादशियों का लाभ मिलेगा। और निश्चित ही तुम सुख यश और मौक्ष प्राप्त करोगे। पितामह की यह बात सुनकर भीमसेन व्रत करने के लिए तैयार हो गए और उसी दिन से इस एकादशी को करने से साल भर की सभी एकादशियों का लाभ मिलता है।

कोई भी एकादशी का व्रत किया जाता है तो उस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और निर्जला के साथ आप सभी एकादशियों पर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप किया करें और भगवत गीता जरूर पढ़े।

निर्जला एकादशी के व्रत को पुरुष और स्त्री दोनों कर सकते हैं। इस व्रत में आपको भगवत गीता का पाठ करना चाहिए और कम से कम एक भगवत गीता दूसरे व्यक्ति को जरूर दें और उसे पढऩे के लिए कहें।

ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए आपको सभी लोगों को पानी पिलाना चाहिए। सभी धर्मों के लोगों को भगवत गीता का वितरण करना लाभकारी रहता है।

निर्जला एकादशी का व्रत करने से आपको साल भर होने वाली 23 एकादशी ओं का व्रत करने की इतनी खास आवश्यकता नहीं रहती। इससे आपको यश धन-दौलत, स्वास्थ्य सुख और आपके मनोकामना की पूर्ति होती है। साथ ही भगवान श्री विष्णु के आशीर्वाद से परम पद की प्राप्ति होने वाली मानी गई है।

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