आषाढ़ मास में दान-पुण्य का विशेष महत्व || Vaibhav Vyas


 आषाढ़ मास में दान-पुण्य का विशेष महत्व

हिन्दू पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ का महीना है। यह संधि काल का महीना है। इसी महीने से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। इस महीने में रोगों का संक्रमण सर्वाधिक होता है. इसी वजह से स्वास्थ्य के प्रति सजगता बरतते हुए खान-पान पर नियंत्रण रखना चाहिए। इस महीने से वातावरण में थोड़ी सी नमी आनी शुरू हो जाती है। इस महीने को कामना पूर्ति का महीना भी कहा जाता है इसी वजह से भगवान की पूजा-अर्चना के साथ साथ दान-पुण्य का भी महत्व बढ़ जाता है। आषाढ़ मास के पहले दिन खड़ाऊं, छाता, नमक तथा आंवले का दान किसी ब्राह्मण को किया जाना श्रेयष्कर रहता है।

इसी महीने में गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है जिसके चलते देवी की उपासना शीघ्र फलदायी मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार भी इस महीने में सूर्य और देवी की भी उपासना की जाती है। इस महीने में तंत्र और शक्ति उपासना के लिए गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती है। इसी महीने से श्री हरि विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं। अगले चार माह तक शुभ कार्यों की वर्जना रहती है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का महान उत्सव भी मनाया जाता है। आषाढ़ के महीने में सबसे ज्यादा फलदायी उपासना गुरु की होती है।

इसके अलावा देवी की उपासना भी शुभ फल देती है। श्री हरि विष्णु की उपासना से भी संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है। इस महीने में जल देव की उपासना से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है। इस महीने में मंगल और सूर्य की उपासना ऊर्जा का स्तर बनाए रखकर सकारात्मक सोच विकसित करने वाली मानी गई है।

आषाढ़ के महीने में खान-पान का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए इस महीने में जल युक्त फल खाने चाहिए। मान्यता के अनुसार आषाढ़ में बेल बिलकुल भी न खाएं। जहाँ तक हो सके तेल वाली चीज़ें कम खाएं। सौंफ , हींग और नीम्बू का प्रयोग लाभकारी होता है।

इस महीने उगते हुए सूरज को अघ्र्य देने की परंपरा है। आषाढ़ के दौरान सूर्य अपने मित्र ग्रहों की राशि में रहता है। इससे सूर्य का शुभ प्रभाव और बढ़ जाता है। स्कंद पुराण के मुताबिक आषाढ़ महीने में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि इस महीने के देवता भगवान वामन ही हैं। इसलिए आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान वामन की विशेष पूजा और व्रत की परंपरा है। वामन पुराण के मुताबिक आषाढ़ महीने के दौरान भगवान विष्णु के इस अवतार की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। संतान सुख मिलता है, जाने-अनजाने में हुए पाप और शारीरिक परेशानियां भी खत्म हो जाती हैं। आषाढ़ महीना धर्म-कर्म के अलावा सेहत के नजरिये से भी बहुत खास होता है। आयुर्वेद के प्रमुख आचार्य चरक, सुश्रुत और वागभट्ट ने इस महीने को ऋतुओं का संधिकाल कहा है। यानी ये मौसम परिवर्तन का समय होता है। इस दौरान गर्मी खत्म होती है और बारिश की शुरुआत होती है। ज्योतिषीयों के मुताबिक आषाढ़ महीने में सूर्य मिथुन राशि में रहता है। इस कारण भी रोगों का संक्रमण बढ़ता है।

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