ज्येष्ठा मास में सूर्य और वरुण देव की पूजा विशेष फलदायी || Vaibhav Vyas


 ज्येष्ठा मास में सूर्य और वरुण देव की पूजा विशेष फलदायी

हिन्दू कैलेंडर में ज्येष्ठ का महीना तीसरा महीना होता है। इस महीने में सूर्य अत्यंत ताकतवर होता है, इसलिए गर्मी भी भयंकर होती है। सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है। चूंकि ज्येष्ठ का महीना वैशाख के महीने के बाद आता है। अंग्रेजी कैलेंडर की बात करें तो ये महीना हमेशा जून और मई के महीने में ही आता है। ऐसे में माना जाता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में होता है। इसलिए भी इस महीने को ज्येष्ठ नाम दिया गया है।

इस महीने में धर्म का सम्बन्ध जल से जोड़ा गया है, ताकि जल का संरक्षण किया जा सके। इस मास में सूर्य और वरुण देव की उपासना विशेष फलदायी होती है। इस माह में कुछ आसान उपायों से जल (वरुण) देव और सूर्य की कृपा पाई जा सकती है। इस माह में नित्य प्रात: और संभव हो तो सायं भी पौधों में जल दें। इस माह में गर्मी काफी तेज होती है और जल संकट भी, ऐसे में प्यासों को पानी पिलाएं, लोगों को जल पिलाने की व्यवस्था करें। इस माह में जल की बर्बादी न करें, घड़े सहित जल और पंखों का दान करें।  नित्य प्रात: और सायं सूर्य मंत्र का जाप करें और यदि सूर्य सम्बन्धी समस्या है तो ज्येष्ठ के हर रविवार को उपवास रखें।

रविवार का दिन सूर्य भगवान को समर्पित होता है। कई लोग इस दिन उपवास रखते हैं इस व्रत को करने से घर में शांति और सुख- समृद्धि आती हैं वहीं, जो लोग ज्योतिष में मानते है उनके लिए कुंडली में सूर्य की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण होती है। ग्रहों की स्थिति अच्छे होने पर हर काम में सफलता मिलती है। लेकिन ग्रहों की चाल ठीक नहीं होने पर परिवारिक और व्यापार दोनों में नुकसान झेलना पड़ता है। इसलिए कुंडली में सूर्य का मजबूत होना बहुत आवश्यक माना गया है।

ऐसे यदि कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए कुछ उपाय किए जाएं तो बिगड़े काम को काम बना सकते हैं। सूर्य को मजबूत करने के लिए तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन, गुलाब का फूल डालकर भगवान सूर्य की पूजा करें इससे आपका सूर्य मजबूत होगा। इसके अलावा सिरहाने में सोने से पहले तांबे के लोटे में पानी रखकर सो जाएं और सुबह उठकर उस पानी को पी लें। इससे आपका पाचन अच्छा रहेगा।

आप दाएं हाथ में कड़ा पहन सकते हैं जिससे आपकी कुंडली में सूर्य मजबूत होता है। हर रोज सुबह उठकर भगवान सूर्य की पूजा करें और उदय होते सूर्य को अघ्र्य देना चाहिए।

इस मंत्र का जाप करें-

ऊँ हृां हृीं स: सूर्याय नम:।।

ऊँ घृणि: सूर्य आदिव्योम।।

शत्रु नाशाय ऊँ हृीं हृीं सूर्याय नम:।।

Comments