प्रदोष व्रत से होंगी मनोकामनाएं पूर्ण || Vaibhav Vyas


 प्रदोष व्रत से होंगी मनोकामनाएं पूर्ण

वैशाख माह का दूसरा और मई का पहला प्रदोष व्रत इस बार शुक्रवार को होने के कारण शुक्र प्रदोष व्रत रहेगा। शुक्र प्रदोष व्रत रखने और भगवान शिव की आराधना करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। शुक्र प्रदोष व्रत 13 मई को है। इस दिन प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है। जो लोग शुक्र प्रदोष व्रत रखेंगे, उनको व्रत कथा का पाठ या श्रवण करना चाहिए, इससे आपको व्रत का महत्व और फल प्राप्त होगा।

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 13 मई दिन शुक्रवार को शाम 05 बजकर 27 मिनट पर शुरु हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 14 मई शनिवार को दोपहर 03 बजकर 22 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत की पूजा त्रयोदशी तिथि में शाम के समय यानि प्रदोष वेला में करने और शुभ मुहूर्त में करने से शीघ्र फल देने वाला रहता है। 13 मई को शुक्र प्रदोष की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 04 मिनट से रात 09 बजकर 09 मिनट तक है। इस दिन शिव पूजा के लिए 02 घंटे से अधिक का शुभ समय मिलेगा। शुक्र प्रदोष वाले दिन शाम करीब पौने 4 बजे से सिद्धि योग लग रहा है और हस्त नक्षत्र रहेगा। ये दोनों ही मांगलिक एवं शुभ कार्यों के लिए अच्छे माने जाते हैं।

हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। एक हिंदी माह में दो प्रदोष व्रत होते हैं। एक शुक्ल पक्ष में तो दूसरा कृष्ण पक्ष में। प्रदोष व्रत रखने और देवों के देव महादेव की पूजा करने से सभी प्रकार के रोग, दोष मिट जाते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख के महीने में भगवान शिव की पूजा को विशेष माना गया है। हर महीने के दोनों पक्षों में आने वाली त्रयोदशी तिथि का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। वैशाख में पडऩे वाले प्रदोष व्रत पर विशेष संयोग बन रहा है, जिसके चलते इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव को प्रदोष व्रत बहुत प्रिय होता है।

प्रदोष व्रत में नियम और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करके भगवान शिव के सामने प्रदोष व्रत का संकल्प लें। इसके बाद विधि-विधान से शिव पूजन और अर्चना करें। शाम के समय प्रदोष काल में एक बार फिर स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से शिव का विशेष पूजन किया जाता है। उसके बाद प्रदोष व्रत की कथा का श्रवण करें। इस दिन रुद्राक्ष की माला से शिव मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जाप करना चाहिए, जिससे भोलेनाथ की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होकर स्वास्थ्य लाभ मिलने वाला रहता है।

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