अपरा एकादशी व्रत से मिलती विजयश्री || Vaibhav Vyas


 अपरा एकादशी व्रत से मिलती विजयश्री

ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। सभी एकादशी में अपरा एकादशी का खास महत्व होता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है। अपरा एकादशी पर भी भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने का महत्व है। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने और पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस बार अपरा एकादशी का व्रत गुरुवार के दिन रखा जाएगा। गुरुवार वैसे भी भगवान विष्णु को समर्पित दिन माना जाता है, इसी वजह से इस दिन की पूजा-उपासना शीघ्र फलदायी मानी गई है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि भगवान कृष्ण के कहने पर अपरा एकादशी का व्रत पांडवों ने रखा था। इसके बाद महाभारत युद्ध में पांडवों को कौरवों से विजय की प्राप्ति हुई। इसलिए इस व्रत को करने से विजय की प्राप्ति होती है और हर तरह की पापों का नाश होता है।

हिंदू धर्म में उदयातिथि का महत्व होता है। इसलिए 26 मई को अपरा एकादशी व्रत रखा जाएगा और शुक्रवार 27 मई को व्रत का पारण किया जाएगा। इस बार गुरुवार के दिन अपरा एकादशी पड़ रही है। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है। ऐसे में इस बार अपरा एकादशी की पूजा व व्रत रखना कई मायनों में खास होगा।

सभी एकादशी व्रतों के नियम दशमी तिथि यानी एक दिन पहले से ही शुरू हो जाते हैं। दशमी तिथि के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए और सूर्यास्त के बाद भोजन करने पर मनाही होती है। अपरा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूर्व दिशा की ओर एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद कलश स्थापना करें और धूप दीप जलाएं। पूजा में भगवान को फल, फूल, पान, सुपारी, नारियल आदि अर्पित करें। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान विष्णु को पूजा में तुलसी का पत्ता जरूर चढ़ाएं। तुलसी पत्ते की बिना भगवान विष्णु की कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। फिर अपरा एकादशी की व्रत कथा सुने या पढ़ें और आरती करें। पूरे दिन उपवास रहे आप चाहे तो फलाहार भी कर सकते हैं। लेकिन एकादशी के दिन भूलकर भी अन्न ग्रहण नहीं करें। सुबह की पूजा के बाद शाम को भगवान विष्णु की पूजा करें और धूप दीप जलाकर आरती करें। अपरा एकादशी पर विष्णु विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना उत्तम होता है। इससे भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व माना गया है। इसीलिए एकादशी का व्रत रखने वालों को किसी नदी-सरोवर में स्नान करना चाहिए, संभव नहीं हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिश्रित जल से स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प करके दान-पुण्य करना चाहिए। जिससे इस दान-पुण्य का कई गुना अधिक फल मिलने वाला रहता है। दान-पुण्य के साथ किसी जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र और पानी पिलाकर संतुष्ट करना चाहिए साथ ही सामथ्र्य के अनुसार दक्षिणा भी देनी चाहिए।

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