वैशाख पूर्णिमा व्रत से शुभ फलों की प्राप्ति || Vaibhav Vyas


 वैशाख पूर्णिमा व्रत से शुभ फलों की प्राप्ति

हर हिन्दू माह के अंतिम दिवस पर पूर्णिमा पड़ती है। वैशाख माह का समापन 16 मई को पूर्णिमा का योग बन रहा है। वैशाख पूर्णिमा का बड़ा ही महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन अगर व्रत रखा जाए और उसका पालन पूर्ण श्रद्धा से किया जाए तो जीवन के सभी कष्टों का निवारण होने के साथ ही साथ जाता है भगवान विष्णु के साथ यमराज भी प्रसन्न होकर मृत्यु से निडरता का वरदान देते हैं।

वैशाख पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य और धर्म-कर्म के अनेक कार्य किये जाते हैं। वैशाख पूर्णिमा को सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है। वैशाख पूर्णिमा पर ही भगवान विष्णु के तेइसवें अवतार महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था।

वैशाख पूर्णिमा पर व्रत और पुण्य कर्म करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि अन्य पूर्णिमा व्रत के सामान ही है लेकिन इस दिन किये जाने वाले कुछ धार्मिक कर्मकांड का विशेष महत्व हो जाता है।

- वैशाख पूर्णिमा के दिन प्रात: काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अघ्र्य देना चाहिए।

- स्नान के पश्चात व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

- इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा कलश और पकवान देने से गोदान के समान फल मिलता है।

- 5 या 7 जरुरतमंद व्यक्तियों और ब्राह्मणों को शक्कर के साथ तिल देने से पापों का क्षय होता है।

- इस दिन तिल के तेल के दीपक जलाएँ और तिलों का तर्पण विशेष रूप से करें।

- इस दिन व्रत के दौरान एक समय भोजन करें। भोजन में सात्विक भोजन को शामिल करें।

- स्नान के पश्चात यथासंभव दान-पुण्य अवश्य करें।

- इस दिन रात को चन्द्रमा को कच्चे दूध को जल में मिलाकर अघ्र्य देना चाहिए।

- इस दिन रात्रि में चन्द्रमा की रश्मियों में कुछ समय व्यतीत करना चाहिए।

- पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा को अघ्र्य देने के बाद ऊँ ऐं क्लीं सोमाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।

Comments