वैशाख पूर्णिमा पर स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व || Vaibhav Vyas


 वैशाख पूर्णिमा पर स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व

वैशाख मास की पूर्णिमा का बहुत महत्व होता है। इस बार वैशाख मास की पूर्णिमा 16 मई के दिन यानी सोमवार को पड़ रही है। वैसे तो पूर्णिमा हर महीने में आती है, लेकिन वैशाख पूर्णिमा साल में एक बार ही आती है। इस दिन भगवान बुध का जन्म हुआ था, इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की भी पूजा करनी चाहिए। इस दिन को काफी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन नदियों और तालाबों में स्नान किया जाना चाहिए।  स्नान करने से व्यक्ति के सारे रोग कट जाते हैं व स्नान के बाद दान पुण्य भी किया जाता है। इस दिन दान का विशेष महत्व है। ज्योतिष के मुताबिक वैशाख पूर्णिमा के दिन कुछ उपायों को करने से घर में खुशहाली और उन्नति आती हैं। इसके साथ ही सभी संकट मिट जाते हैं।

भगवान विष्णु और हनुमान जी की करें पूजा- वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और हनुमान जी की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस दिन मिट्टी का दीपक हनुमान मंदिर में जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। इससे घर में सुख शांति और वैभव बना रहता है।

सत्यनारायण का पाठ- इस दिन भगवान सत्यनारायण का पाठ कराने से घर में लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही दुख दारिद्रय घर से दूर हो जाता है। इस दिन सत्यनारायण का पाठ करने के बाद ही भोजन करना चाहिए। इससे हर मनोकामना पूरी होती है।

स्नान करते वक्त पानी में मिलाएं गंगाजल- वैशाख पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान करने से पहले पानी में थोड़ा गंगाजल मिला लें। जिससे आपका तन मन शुद्ध हो जाएं। स्नान करने के बाद घर के सबसे मेन गेट में हल्दी व चंदन से स्वास्तिक व ओम बना लें। इसे घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।

वेद में कहा गया है- चन्द्रमा मनसो जाताश्चक्षो सूर्यो अजायत। अर्थात् चन्द्रमा का मन से घनिष्ठ सम्बन्ध है। इसीलिए समस्त प्राणियों के लिए मानसिक सुख शान्ति का प्रभाव कारक ग्रह चन्द्रमा माना गया है। चन्द्रमा एक जलीय ग्रह है। पौराणिक मतानुसार इसकी उत्पत्ति समुद्र से मानी गयी है। यह एक अत्यंत ही शीतल ग्रह है। इसीलिए आशुतोष भगवान शिव इसे अपने सिर पर धारण किये रहते है। कुंडली में इस चन्द्रमा के कारण अनेक योग बनाते है, जो व्यक्ति के जीवन के विविध पहलू को प्रभावित करते है। इसीलिए पूर्णिमा के दिन दिन चंद्रमा की पूजा रात में जरूर करनी चाहिए। चंद्रमा की पूजा करने के लिए तांबे के लोटे में जल लें और इसमें चीनी या गुड व अक्षत डालकर चंद्रमा को अघ्र्य दें और चंद्रमा की ओर ध्यान लगाएं इसके साथ ही इस मंत्र का जाप जरूर करें-  ऊं ऐं क्लीं सोमाय नम:।

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