शुक्र प्रदोष व्रत से दांपत्य जीवन में सुख-शांति || Vaibhav Vyas


 शुक्र प्रदोष व्रत से दांपत्य जीवन में सुख-शांति

शुक्र प्रदोष व्रत के प्रभाव से सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शांति और समृद्धि में वृद्धि होती है। शुक्रवार के दिन पडऩे की वजह से इसे भुगवारा या शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शुक्र प्रदोष व्रत मंगलकारी और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है। शुक्रवार को प्रदोष व्रत सौभाग्य और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि भर देता है। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा के बाद व्रत की कथा का श्रवण-वाचन अवश्य करना चाहिए। इस दिन व्रत करने वालों को भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की प्रदोष वेला में पूजा-अर्चना करनी चाहिए और दिनभर शिवजी के स्त्रोत या शिव मंत्रों का जाप करते रहना चाहिए। पूजा के पश्चात व्रत से संबंधित कथा का श्रवण-वाचन करने से व्रत की पूर्णता का फल प्राप्त होने वाला रहता है।

शुक्र प्रदोष कथा- पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में 3 मित्र रहते थे- राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे। धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकिन गौना शेष था। एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा- नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है। धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरंत ही उसने अपनी पत्नी को लाने का निश्चय कर लिया। तब धनिक पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं, ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता लेकिन धनिक पुत्र ने एक नहीं सुनी और ससुराल पहुंच गया।

ससुराल में भी उसे मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो जिद पर अड़ा रहा और कन्या के माता-पिता को उनकी विदाई करनी पड़ी। विदाई के बाद पति-पत्नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई। दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भी वो चलते रहे। कुछ दूर जाने पर उनका सामना डाकुओं से हुआ। डाकू उनका धन लूटकर ले गए। दोनों लुटे-पिटे जब घर पहुंचे तो वहां धनिक पुत्र को सांप ने डंस लिया। उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि वो 3 दिन में मर जाएगा।

जब ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो वो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इसे पत्नी सहित वापस ससुराल भेज दें। धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानी और ससुराल पहुंच गया, जहां उसकी हालत ठीक होती गई यानी शुक्र प्रदोष की महिमा से सभी घोर कष्ट दूर हो गए।

प्रदोष व्रत रखने और देवों के देव महादेव की पूजा करने से सभी प्रकार के रोग, दोष मिट जाते हैं। प्रदोष व्रत की कथा का श्रवण-वाचन जरूर करना चाहिए। इस दिन रुद्राक्ष की माला से शिव मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जाप करना चाहिए, जिससे भोलेनाथ की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होकर स्वास्थ्य लाभ मिलने वाला रहता है।

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