पापों से मुक्ति दिलाता मोहिनी एकादशी का व्रत || Vaibhav Vyas


 पापों से मुक्ति दिलाता मोहिनी एकादशी का व्रत

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत के समान कोई दूसरा व्रत नहीं है, जिसका फल सभी दुखों और पापों से मुक्ति दिलाता हो। मोहिनी एकादशी व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। माना जाता है कि भगवान विष्णु ने वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी स्वरूप धारण किया था, इसलिए इस दिन मोहिनी एकादशी व्रत रखा जाता है। सभी व्रतों में एकादशी व्रत को विशेष मानते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरुप की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से सभी दुख और पाप से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के कथा का पाठ करने मात्र से ही 1000 गायों के दान करने के बराबर पुण्य मिलता है। इसलिए इस दिन व्रत करने वालों को व्रत की तिथि वाले दिन पूजा-अर्चना मुहूर्त के अनुसार करने से फलों में शीघ्रता मिलने वाली रहती है।

पंचांग के अनुसार, इस साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 11 मई बुधवार को शाम 07 बजकर 31 मिनट से हो रहा है। यह तिथि अगले दिन 12 मई को शाम 06 बजकर 52 मिनट तक है। कोई भी व्रत हो उसके करने का विधान उदयातिथि को माना जाता है। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर मोहिनी एकादशी व्रत 12 मई दिन गुरुवार को रखा जाएगा। मोहिनी एकादशी के दिन गुरुवार है, जो भगवान विष्णु की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है। ऐसे में मोहिनी एकादशी पर गुरुवार दिन का विशेष संयोग है। इस दिन रवि योग सुबह 05 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होकर शाम 07 बजकर 30 मिनट तक है। ऐसे में मोहिनी एकादशी व्रत की पूजा प्रात:काल से ही की जा सकती है। जिन लोगों को मोहिनी एकादशी व्रत का पारण 12 मई को करना है, वे लोग अगले दिन 13 मई शुक्रवार को सूर्योदय के बाद पारण कर सकते हैं। इस दिन पारण का समय सुबह 05 बजकर 32 मिनट से सुबह 08 बजकर 14 मिनट तक है। 13 मई को द्वादशी तिथि का समापन शाम को 05 बजकर 42 मिनट पर होगा।

मोहिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पाप और उसके कष्टों से मुक्ति मिलती है। भगवान विष्णु की कृपा से मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है। मोहिनी एकादशी व्रत की कथा को सुनने मात्र से ही एक हजार गायों के दान करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।

एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है। जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। इतना ही नहीं एकादशी करने वालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवार वालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं। इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में पितर दोष से मुक्ति मिलती है और सुख-शांति के साथ ही साथ धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि, कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जो परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त करने में सहायक होती है।

एकादशी का व्रत करने वालों को पूर्ण सात्विकता के साथ व्रत के नियमों का पालन करते हुए भगवान श्री विष्णु हरि की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें, विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो 10 माला गुरुमंत्र का जप कर लें। अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे।

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