वैशाख अमावस्या पर ग्रह-नक्षत्रों का दुर्लभ संयोग || Vaibhav Vyas


 वैशाख अमावस्या पर ग्रह-नक्षत्रों का दुर्लभ संयोग

शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैय्या या फिर शनि देव की दशा का प्रभाव बना हुआ है तो इस बार वैशाख अमावस्या पर बन रहे योग उनके लिए कल्याणकारी सिद्ध हो सकते हैं। क्योंकि इस बार वैशाख मास में शनिश्चरी अमावस्या का संयोग बना है और इसी दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। हिंदू वर्ष का दूसरा महीना वैशाख धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी माह में त्रेता युग का आरंभ हुआ था। वैशाख अमावस्या शनिवार के दिन पडऩे के कारण शनिश्चरी अमावस्या या शनि अमावस्या का संयोग बन रहा है। शनिवार के स्वामी शनि देव हैं और अमावस्या के दिन इनका जन्म हुआ था इसलिए अमावस्या तिथि का जब दुर्लभ संयोग बनता है तो शनिदेव महाराज की पूजा करना बेहद फलदायी माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन पितरों को जल का तर्पण भी दिया जाता है, जिससे पितृगण संतुष्ट होते हैं।

ग्रह-नक्षत्रों का दुर्लभ संयोग इस बार बन रहा है। वैशाख अमावस्या पर ग्रह-नक्षत्रों का काफी दुर्लभ संयोग देखने को भी मिल रहा है। इस दिन सूर्य, चंद्रमा और राहु मेष राशि में होंगे, जबकि शनि और मंगल कुंभ राशि में होंगे। वहीं गुरु व शुक्र ग्रह एक साथ मीन राशि में होंगे। माना जाता है कि गुरु व शुक्र दोनों ही शुभ ग्रह हैं लेकिन दोनों के बीच शत्रु भाव रहता है। ग्रहों की इस दशा से ग्रह युद्ध नामक योग भी बन रहा है। इनके लिए बेहद शुभ समय वैशाख अमावस्या पर बन रहा यह खास संयोग साढ़ेसाती व ढैय्या वाले लोगों के लिए बेहद कल्याणकारी है। क्योंकि शास्त्रों के नियमानुसार शनिश्चरी अमावस्या पर शनि की साढेसाती, ढैय्या, दशा के उपाय का लाभ जल्दी मिल जाता है।

साढ़ेसाती व ढैय्या से प्रभावित लोग शनिश्चरी अमावस्या पर पीपल की पूजा करें। पीपल की पूजा में सबसे पहले दूध व जल पीपल को चढ़ाएं और फिर पांच पीपल के पत्तों पर पांच तरह की मिठाई रखकर पीपल को अर्पित करें। इसके बाद धूप-दीप करके सात बार परिक्रमा करें। शनिश्चरी अमावस्या पर पितरों के नाम का जल तर्पण करें और भोज करवाएं। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं, जिससे वह आशीर्वाद देते हैं और पितृ दोष भी दूर होता है। शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव को प्रसन्न और शनि दोषों को दूर करने के लिए काला जूता व काला छाता दान करना चाहिए। साढ़ेसाती व ढैय्या का अशुभ प्रभाव दूर करने के लिए शनि मंदिर में शनि चालीसा या शनि स्त्रोत का पाठ करें। साथ ही शनि चालीसा का दान भी करें। शनिश्चरी अमावस्या पर साढ़ेसाती व ढैय्या से प्रभावित लोग लोहे के बर्तनों का भी दान कर सकते हैं। शनिश्चरी अमावस्या पर केवल तीर्थ स्नान से भी शनि संबंधी दोषों का निवारण होने वाला रहता है। कुंडली में मौजूद शनि दोष को कम करने के लिए इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने के साथ ही सुबह-शाम दीपक प्रज्जवलित करना चाहिए। शनिश्चरी अमावस्या के दिन व्रत रखकर यथासंभव जरूरतमंदों को दान-पुण्य करना चाहिए।

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