वैशाख मास में कथा श्रवण से लाभ || Vaibhav Vyas


 वैशाख मास में कथा श्रवण से लाभ

वैशाख मास की महिमा का विष्णु पुराण में भी वर्णन मिलता है, जिसके अनुसार इस माह में कथा का श्रवण या कथा का किसी जानकार के माध्यम से वाचन करवाना पुण्य फलों को उदय करने वाला माना गया है। इसके अनुसार, वैशाख के महीने में जो व्यक्ति प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर पूजन करता है, वह विष्णु कृपा प्राप्त करता है। उसके घर परिवार में संपन्नता आती है।

विष्णु पुराण और स्कंद पुराण में वैशाख महीने के महत्व का उल्लेख मिलता है। इसमें कहा गया है कि वैशाख मास में विधि पूर्वक स्नान पूजन कर राजा महीरथ ने सभी पापों से मुक्ति पाकर बैकुंठ लोक प्राप्त किया था। जो भी व्यक्ति ऐसा करता है वह अपना इहलोक और परलोक सुधार लेता है।

इसके अलावा वैशाख मास में केवल कथा श्रवण करने और कथा वाचन करवाने से लाभ मिलता है। धार्मिक आस्था है कि वैशाख के महीने में जितना अधिक हो सके भगवान विष्णु का भजन कीर्तन करना चाहिए। श्रीहरि की कथा का श्रवण इस महीने में करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। वैशाख मास में श्री विष्णु हरि के नाम से किए गए कार्यों से जातक की आर्थिक क्षेत्र में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। वैशाख महीने में भगवान विष्णु के मंत्र 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:Ó मंत्र का अधिक से अधिक जप करना चाहिए। साथ ही विष्णु भक्ति में ध्यान लगाना चाहिए। इससे मानसिक एकाग्रता और शांति बढ़ती है, जिससे सही दिशा में आगे बढऩे में मदद मिलती है।

स्कंद पुराण के अनुसार वैशाख मास में कुछ कार्यों का निषेध भी माना गया है। इसीलिए वैशाख के महीने में शरीर पर तेल का उपयोग कम से कम करना चाहिए। दिन में सोना नहीं चाहिए। कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए और रात के समय भोजन नहीं करना चाहिए। सूर्यास्त से पहले भोजन कर ध्यान-पूजन में समय बिताना चाहिए।

हिंदू धर्म में दान-पुण्य का बहुत महत्व है। लेकिन वैशाख के महीने में इसकी महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। वैसे तो वैशाख मास में जल से जुड़े कार्य कराने पर विशेष पुण्य की प्राप्ति होना बताया गया है। मान्यता है कि वैशाख में पंखे का दान, प्याऊ, नल या हैंडपंप का निर्माण कराने पर ईश्वर की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा जरूरतमंदों को भोजन-पानी और दान-दक्षिणा देकर संतुष्ट करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है। कहा भी गया है नर सेवा नारायण सेवा। इसलिए अपनी सामथ्र्य के अनुसार जितना संभव हो उतना दान-पुण्य इस माह में अवश्य करना चाहिए। वैशाख मास का महात्म्य इसी बात में है कि इस माह में थोड़े से प्रयासों से कई गुना पुण्य फलों की प्राप्ति की जा सकती है। वह प्रयास चाहे फिर पूजा-आराधना के माध्यम से हों या फिर दान-दक्षिणा और पशु-पक्षियों की सेवा के माध्यम से, उसका पूरा लाभ मिलने वाला रहता है और मन को संतुष्टि और सुकून मिलने वाला रहता है।

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