वैशाख मास में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान विशेष फलदायी || Vaibhav Vyas


 वैशाख मास में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान विशेष फलदायी

सनातन परंपरा में वैशाख मास का बहुत महत्व बताया गया है। वेद काल से ही इस महत्व को वैशाख महात्म्य के नाम से जाना जाता है। वैशाख मास के महात्म्य की महिमा का इस बात से सहज ही पता चल जाता है कि इस मास में प्यासे को जल पिलाना यानी 100 गंगा स्नान के बराबर पुण्य और रुद्राभिषेक जितना फलदायी होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि वैशाख का यह महीना भगवान विष्णु को बेहद ही प्रिय होता है। इसी वजह से इस महीने स्नान, दान-पुण्य और धार्मिक आयोजनों से सहज ही फल की प्राप्ति होने वाली रहती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार देवर्षि नारद ने देवताओं को बताते हुए कहा कि कार्तिक, माघ माह और वैशाख धार्मिक रूप से श्रेष्ठ माह हैं। इन तीनों का जन्म श्रीहरि विष्णु के हृदय से हुआ है, इसलिए यह तीनों ही मास उनके स्वरूप माने जाते हैं। इंद्र से ऋषियों की तपस्या भंग होने के कारण जब उन्हें पद च्युत हो जाने का श्राप मिला तब नारद मुनि ने श्राप के शीघ्र निवारण के लिए वैशाख अनुष्ठान की सलाह दी थी। वैशाख माह में अपने पिछले जन्मों के पाप आदि को बेहद ही आसानी से दूर किया जा सकता है साथ ही मनोकामना पूर्ति भी होती है।

वैशाख माह का महत्व बताते हुए नारद ऋषि कहते हैं कि यह मास धर्म, तप, यज्ञ, क्रिया तपस्या आदि के लिए बेहद ही शुभ होता है। यही वजह है कि यह महीना सभी देवताओं द्वारा भी पूज्य माना गया है। इस माह को विद्याओं में वेद, देवताओं में भगवान विष्णु, नदियों में गंगा, तेज में सूर्य, पेड़ पौधों में कल्पवृक्ष, धातुओं में सोना और रत्नों में कौस्तुभ मणि के समान माना गया है।

वैशाख माह में स्नान-दान-पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने में भगवान विष्णु, भगवान परशुराम और देवी की पूजा पाठ करना बेहद ही शुभ होता है। वैशाख के महीने में गंगा नदी की पूजा करना भी बेहद शुभ माना गया है। वैशाख के इस महीने में सूर्योदय से पहले उठें, संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करके अथवा घर पर स्नान करते समय गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करके भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करें। चूंकि यह माह श्री विष्णु हरि को अतिप्रिय है इसलिए इस माह में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्त का पाठ या महालक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना शीघ्र फलदायी माना गया है। महालक्ष्मी के इस मंत्र से जाप करने से श्री विष्णु हरि और मां लक्ष्मी की कृपा से शुभ फलों की प्राप्ति होने वाली रहती है। मंत्र- ऊँ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नम: का जाप करना श्रेयष्कर रहता है। वैशाख के महीने में जब गर्मी काफी ज्यादा होती है इस दौरान प्यासे को पानी जरूर पिलाएं। रास्तों पर पेयजल की व्यवस्था करें। साथ ही साथ पशु-पक्षियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था भी करने से भगवान की कृपा के पात्र बनने लगते हैं।

किसी भी नदी या संगम में इस पूरे माह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने मात्र भगवान की कृपा से सारे पापों से मुक्ति मिलने वाली मानी गई है। नदी या संगम में स्नान के साथ ही साथ पितरों को जल तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद तो मिलता ही है साथ ही साथ पितरों को भी मोक्ष की गति प्रदान होने वाली मानी गई है। नदी-संगम में स्नान आदि के पश्चात जरूरतमंदों को यथासंभव दान-पुण्य और भोजन-पानी करवाने से जहां मन की संतुष्टि मिलती है वहीं आने वाली समस्याओं से भी छुटकारा मिलने वाला रहता है।

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