अमावस्या पर पितर तर्पण और पीपल पूजा से सुख-समृद्धि || Vaibhav Vyas


 अमावस्या पर पितर तर्पण और पीपल पूजा से सुख-समृद्धि

वैशाख अमावस्या के महत्व से जुड़ी एक कथा पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। प्राचीन काल में धर्मवर्ण नाम के एक ब्राह्मण हुआ करते थे। वे बहुत ही धार्मिक और ऋषि-मुनियों का आदर करने वाले व्यक्ति थे। एक बार उन्होंने किसी महात्मा के मुख से सुना कि कलियुग में भगवान विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी कार्य में नहीं है। धर्मवर्ण ने इस बात को आत्मसात कर लिया और सांसारिक जीवन छोड़कर संन्यास लेकर भ्रमण करने लगा। एक दिन घूमते हुए वह पितृलोक पहुंचा। वहां धर्मवर्ण के पितर बहुत कष्ट में थे। पितरों ने उसे बताया कि उनकी ऐसी हालत तुम्हारे संन्यास के कारण हुई है। क्योंकि अब उनके लिये पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है। यदि तुम वापस जाकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करो, संतान उत्पन्न करो तो हमें राहत मिल सकती है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करो। धर्मवर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह उनकी अपेक्षाओं को अवश्य पूर्ण करेगा। इसके बाद धर्मवर्ण ने संन्यासी जीवन छोड़कर पुन: सांसारिक जीवन को अपनाया और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से पिंडदान कर अपने पितरों को मुक्ति दिलाई।

अमावस्या की तिथि प्रमुख रूप से पितरों को समर्पित होती है। इस दिन पितरों के निमित्त दान-पुण्य जरूर करें। अमावस्या के दिन मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। अमावस्या के दिन काली चींटियों को शक्कर मिला हुआ आटा जरूर खिलाएं। शाम के वक्त किसी अच्छे जानकार पुरोहित को बुलाकर घर में हवन करवाएं।  अमावस्या को पीपल के वृक्ष की पूजा करें तथा पेड़ को जनेऊ व अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु के मंत्र ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें उसकी सात परिक्रमा करें।

धर्म शास्त्रों में पीपल वृक्ष की पूजा को बहुत फलदायी बताया गया है। पीपल वृक्ष में देवी देवताओं का खासकर भगवान श्री विष्णु का वास माना जाता है। अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष की विशेष पूजा करने से सभी संकट दूर होने के साथ धन, समृद्धि, यश, कीर्ति आदि की भी प्राप्ति भी होने लगती है। साथ ही इसकी पूजा से पूर्वज पितृ प्रसन्न व तृप्त होकर सभी मनोकामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं।

अमावस्या तिथि के दिन सूर्योदय के कुछ समय पूर्व एवं सूर्यास्त के तुरंत बाद अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना से पीपल वृक्ष के पास जाकर पहले सरसों के तेल का एक दीपक व सुंगंधित धुप जलावें, फिर हल्दी, कुमकुम, चावल, पुष्प से पूजन कर शक्कर मिला मीठा जल एक लोटा चढ़ावें। जल चढ़ाने के बाद थोड़ा सा शक्कर या गुड़ का प्रसाद पीपल की जल में चढ़ा दें। अब पीपल पेड़ की 11 परिक्रमा पित्रों का आशीर्वाद प्राप्त हो इस भाव से करें। उक्त क्रम दोनों समय करना है, कुछ ही दिनों में लाभ दिखाई देने लगेगा।

- अमावस्या को पीपल वृक्ष की पूजा करने से अपार सुख समृद्धि मिलती है।

- अमावस्या के दिन से पीपल वृक्ष की हर रोज विशेष पूजा करने से अपार धन वैभव की प्राप्ति होती है।

- अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने के बाद श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले को घोर संकटो से मुक्ति मिलती है।

- अमावस्या तिथि पर पीपल के वृक्ष के नीचे मीठा जल चढ़ाने के बाद सरसों के तेल का दीपक जलाकर सात परिक्रमा करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है।

- अमावस्या तिथि को पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर पंच मेवा (पांच प्रकार की मिठाई) अर्पित करने से पितृ दोष में मुक्ति मिलती है।

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