हनुमान जयंती पर भक्ति भाव से की गई पूजा पापों से मुक्ति दिलाती || Vaibhav Vyas


 हनुमान जयंती पर भक्ति भाव से की गई पूजा पापों से मुक्ति दिलाती

हिन्दू धर्म में किसी भी वार-त्यौहार विशेष पर संबंधित ईष्ट की पूजा-आराधना का विशेष विधान होता है। ये विधान और पूजा और भक्ति से विशेष फलों की शीघ्र प्राप्ति होती है। हर एक पर्व का अपना अलग महत्व और इसे मनाने का तरीका है। किसी भी व्रत और त्योहार में अलग भगवानों की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि भगवान की पूजा से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे ही पर्वों में से एक है हनुमान जयंती। हनुमान जयंती का पर्व चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर भक्तजन हनुमानजी की जयंती बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। वहीं कुछ जगहों पर धार्मिक आयोजनों का विशेष आयोजन किया जाता है, जिससे भक्ति भाव से करने पर मन की संतुष्टि मिलने वाली रहती है। सदियों से ही चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी के जन्मदिवस के रूप में मनाने की परंपरा है। इस बार चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल, शनिवार के दिन पड़ेगी। इस दिन भगवान हनुमान की पूजा मुख्य रूप से फलदायी होगी।

कलयुग के समय में हनुमान जी को सबसे ज्यादा प्रभावशाली और जल्दी प्रसन्न होने वाले देवताओं में से एक माना जाता है। उन्हें भगवान शिव के अंश के रूप में ही पूजा जाता है। भक्त उनके जन्म दिवस को बड़ी ही श्रद्धा भाव से मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने मात्र से ही हनुमान जी की विशेष कृपा दृष्टि प्राप्त होती है। ऐसी मान्यता है कि भक्ति भाव से भगवान हनुमान की पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का द्वार खुलता है।

भगवान शिव का अंश माने जाने वाले हनुमान जी के जन्म की कथा का जिक्र विशेष रूप से पुराणों में किया गया है। हनुमान जी के जन्म की कथा के अनुसार एक बार जब राजा दशरथ और उनकी तीनों पत्नियों के यज्ञ से प्रसन्न होकर अग्नि देव ने उन्हें खीर खाने को दी तब उस खीर का एक हिस्सा एक चील लेकर उड़ गयी। उस समय माता अंजना पूजा कर रही थीं और चील जब उनके आश्रम के बाहर से उड़ी तब खीर का कुछ हिस्सा उनके मुंह में आ गिरा, जिससे वो गर्भवती हो गयीं और उन्होंने भगवान् शिवजी के 11वें रूद्र अवतार हनुमान जी को जन्म दिया। तभी से हनुमान जंयती को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

ऐसी मान्यता है कि हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी के भक्तों को ग्रहों के दोष-मारकेश अथवा मरण तुल्य कष्ट देने वाले ग्रहों की दशा का दोष नहीं लगता है।

इस दिन इनकी आराधना करने से सभी अशुभ ग्रह शुभ फल देने के लिए विवश हो जाते हैं।

हनुमान जयंती के दिन विशेष रूप से पूजन करने के लिए स्नान आदि से निवृत होकर हाथों में गंगाजल लें और भगवान राम, सीता जी और हनुमान का ध्यान करते हुए संकल्प लें। उसके बाद पूजा स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके आसन बिछाकर बैठ जाएं। पूजा स्थल पर बैठने के बाद अपना आसन पूर्व या उत्तर दिशा में रखें। हनुमान जी की मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें और पंचामृत शुद्ध जल, दही, शहद और तिल या चमेली का तेल अर्पित करें। दीपक जलाकर भगवान हनुमान की पूजा करें। इस दिन हनुमान जी की मूर्ति पर पीला सिंदूर अवश्य चढ़ाएं और बेसन से बना भोग लगाएं।

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