कालरात्रि स्वरूप की पूजा से अज्ञानता का नाश || Vaibhav Vyas


 कालरात्रि स्वरूप की पूजा से अज्ञानता का नाश

नवरात्रि के सातवें दिन माता के कालरात्रि स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। देवी के नौ स्वरूप में से एक कालरात्री का रूप काफी रौद्र है लेकिन उनका दिल बेहद ही कोमल है। कालरात्री माता की पूजा जो भी भक्त दिल से करता है, उस पर मां की विशेष कृपा बनी रहती है। इसके साथ ही देवी कालरात्रि अज्ञानता का नाश कर अधंकार मे रोशनी लाती हैं। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं। इनकी पूजा करने से ग्रह-बाधाओं की समस्याओं से छुटकारा मिलता ही है, साथ ही भक्तों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते अर्थात् इनकी कृपा से सभी भक्त भय-मुक्त हो जाते हैं।

देवी  कालरात्रि स्वरूप में माता के चार हाथ हैं। उनके एक हाथ में खड्ग (तलवार), दूसरे में लौह शस्त्र, तीसरे हाथ वरमुद्रा और चौथे हाथ अभय मुद्रा में है। मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ अर्थात् गधा है।

मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए श्वेत या लाल वस्त्र धारण करें। देवी कालरात्रि  पूजा ब्रह्ममुहूर्त में ही की जाती है। वहीं तंत्र साधना के लिए तांत्रिक मां की पूजा आधी रात में भी करते हैं इसलिए सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। पूजा करने के लिए सबसे पहले आप एक चौकी पर मां कालरात्रि का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद मां को कुमकुम, लाल पुष्प, रोली आदि चढ़ाएं। माला के रूप में मां को नींबुओं की माला पहनाएं और उनके आगे तेल का दीपक जलाकर उनका पूजन करें। मां कालरात्रि को  को लाल फूल अर्पित करें। मां के मंत्रों का जाप करें या सप्तशती का पाठ करें। मां की कथा सुनें और धूप व दीप से आरती उतारने के बाद उन्हें प्रसाद का भोग लगाएं। देवी कालरात्रि को काली मिर्च, कृष्णा तुलसी या काले चने का भोग लगाया जाता है। वैसे नकारात्मक शक्तियों से बचने के लिए आप गुड़ का भोग लगा सकते हैं। इसके आलावा नींबू काटकर भी मां को अर्पित कर सकते हैं। उसके पश्चात मां से जाने-अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा याचना करें।

मां कालरात्रि दुष्टों का नाश करके अपने भक्तों को सारी परेशानियों व समस्याओं से मुक्ति दिलाती है। इनके गले में नरमुंडों की माला होती है। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि  की पूजा करने से भूत प्रेत, राक्षस, अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि सभी नष्ट हो जाते हैं।

पूजा के पश्चात मंत्रों का जाप शीघ्र फलदायी माना गया है इसलिए पूजा के पश्चात कम से कम एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए। मंत्र-

एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी

वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।

या फिर इस मंत्र से भी जाप किया जा सकता है।

या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार देवी कालरात्रि शनिदेव को नियंत्रित करती हैं। नवरात्रि में इनकी विधि-विधान से पूजा अर्चना करने पर शनि की साढ़े साती और शनि की ढैय्या के प्रभाव से मुक्ति मिलती है। कालरात्रि को काल का नाश करने वाली देवी माना जाता है, इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरूप को कालराति कहा गया है। ये स्वरूप भक्तों के सभी दु:ख और संताप दूर करती हैं। इनकी पूजा से प्राणी अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है।

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