मांगलिक दोष हो तो भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा करें || Vaibhav Vyas


 मांगलिक दोष हो तो भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा करें

विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन में संबंधों में अनबन का कारण मंगल दोष भी हो सकता है। ज्योतिष शास्त्र में सभी 9 ग्रहों और 12 राशियों की विशेष भूमिका होती है। 9 ग्रहों और 12 राशियों की गणना के आधार पर किसी व्यक्ति के भविष्य के बारे में अध्ययन किया जाता है। कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में मंगल आकर बैठे हों तो वह व्यक्ति मांगलिक कहलाता है। कुंडली में मंगल दोष होने पर उसके विवाह में अड़चनें आती है। व्यक्ति को ज्यादा गुस्सा आता है।

कुंडली में मंगल ग्रह के भारी होने पर जातकों पर मंगल ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है। कुंडली में मंगल का प्रभाव अधिक होने पर ऐसे लोगों में कामुकता ज्यादा होती है।

मांगलिक व्यक्तियों में काम की इच्छा अधिक होने के कारण इनका विवाह मांगलिक से किया जाता है।

मांगलिक का विवाह मांगलिक से करने पर यह एक दूसरे की इच्छा और साथ अच्छी तरह से निभाते हैं।

मंगल ग्रह का प्रभाव ज्यादा होने से इन्हें बात-बात में जल्दी गुस्सा आता है। कार्य के प्रति काफी जुनूनी स्वभाव के होते हैं। मंगल दोष के प्रभाव से विवाह में देरी होती है, शादी टूट सकती है, यदि विवाह हो भी जाता है तो जीवनसाथी से तालमेल का अभाव रहता है। माना जाता है कि कुंडली के सातवें भाव में मंगल का होना अशुभ होता है। यहां मंगल की स्थिति पति और पत्नी के बीच अहम के टकराव, तनाव, झगड़ा, तलाक आदि का कारण बनती है।

ऐसी स्थिति में मंगल ग्रह की शांति के लिए उपाय करने से दोषों के प्रभाव में कमी आने लगती है और जीवन में सुख-शांति होने वाली रहती है। इसके लिए मंगल के प्रभाव को कम करने के लिए मांगलिक लोगों को भगवान शिव और हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए। मांगलिक दोष के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए मंगल का रत्न मूंगा भी किसी जानकार की सलाह से धारण करना चाहिए। गेहूं, मसूर की दाल, तांबा, सोना, लाल फूल, लाल वस्त्र, लाल चंदन, केसर, कस्तुरी, लाल बैल, भूमि आदि का दान करने से भी दोषों में कमी आने लगती है। मंगलवार को हनुमानजी को चोला चढ़ाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। पानी में लाल चंदन या थोड़ा सा कुंकुम पाउडर डालकर स्नान करें। मंगल यंत्र की स्थापना अपने घर में करें और रोज इसकी पूजा करें।

कुंडली में मंगल को बली बनाने के लिए मत्र जाप भी विशेष फलदायी रहता है। इसके लिए ऊँ भौमाय नम: और ऊँ अं अंगारकाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। प्रत्येक मंगलवार का व्रत रखने के साथ हनुमान मंदिर में बूंदी का प्रसाद स्वयं भी लें और भक्तों में भी इस प्रसाद का वितरण करना चाहिए। मंगलवार के दिन ही हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। मंगलवार के दिन लाल कपड़े धारण करें। हनुमान मंदिर में लाल सिंदूर चढ़ाएं और जरूरतमंद लोगों को यथा शक्ति दान-पुण्य करना चाहिए।

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