आमलकी एकादशी में विष्णु भगवान की पूजा फलदायी || Vaibhav Vyas

आमलकी एकादशी में विष्णु भगवान की पूजा फलदायी


फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो हिंदू धर्म के अनुसार सभी एकादशियों का काफी महत्व माना गया है, लेकिन इन सब में आमलकी एकादशी को सर्वोत्तम स्थान पर रखा गया है। आमलकी एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होता है। आमलकी एकादशी को कुछ लोग आंवला एकादशी या आमली ग्यारस भी कहते हैं। ये होली से कुछ दिन पहले पड़ती है, इसलिए इसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार इस बार आमलकी एकादशी का व्रत 14 मार्च 2022 के दिन रखा जाएगा।

एकादशी तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। हालांकि उदया तिथि के अनुसार से ये व्रत 14 मार्च को रखा जाएगा। मान्यता के अनुसार इस बार आमलकी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो इसे और भी शुभ और फलदायी बनाएगा।

पौराणिक कथाओं के अनुसार आंवले के पेड़ को भगवान विष्णु ने ही जन्म दिया था। मान्यता है कि इस पेड़ के हर एक भाग में ईश्वर का वास है। कहा जाता है कि आमलकी एकादशी के दिन आवंले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन करने से वो बेहद प्रसन्न होते हैं। साथ ही ये भी कहा जाता है कि आवंले के वृक्ष में श्री हरि और माता लक्ष्मी का वास होता होता है। 

मान्यता के अनुसार आमलकी एकादशी के दिन आंवले का उबटन लगाना चाहिए और आवंले के जल से ही स्नान करना चाहिए। साथ ही इस दिन आवंले को पूजने, दान करने और खाने की भी सलाह दी जाती है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर नारायण की पूजा करने से एक हजार गौ दान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। 

आमलकी एकादशी पूजा-विधि- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान की आरती करें। भगवान को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। पूरे दिन यथाशक्ति भगवद् नाम उच्चारण और भगवान का ध्यान करते रहने से एकादशी का शुभ फल प्राप्त होने वाला रहता है।


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