अमावस्या पर करें पितृ तर्पण || Vaibhav Vyas


 अमावस्या पर करें पितृ तर्पण

सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व होता है। अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए उपाय किए जाते हैं। माना जाता है कि जिन लोगों को पितृ दोष होता है, उनकी तरक्की नहीं होती है और उनको संतान सुख भी प्राप्त नहीं होता है। इसके अलावा गाहे-बगाहे छोटी मोटी समस्याओं से बारम्बार रुबरु होना पड़ता है। यही कारण है कि जिन पर यह दोष होता है उन्हें तुरंत इसका निवारण कर लेना चाहिए। पितृ दोष तब लगता है, जब आप अपने पितरों को जाने-अनजाने में नाराज कर देते हैं और वे आपको श्राप देते हैं। इससे मुक्ति के लिए चैत्र अमावस्या के दिन किए गए उपाय शीघ्र फलदायी माने गए हैं। हर माह के कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को अमावस्या होती है। इस समय चैत्र माह का कृष्ण पक्ष चल रहा है।

पंचांग के अनुसार, चैत्र कृष्ण अमावस्या 31 मार्च से प्रारंभ होकर अगले दिन 1 अप्रैल को दिन में 11 बजकर 53 मिनट तक है। यानी उदयातिथि के आधार पर चैत्र अमावस्या तिथि 1 अप्रैल दिन शुक्रवार को है। इस दिन सुबह 09 बजकर 37 मिनट तक ब्रह्म योग है और उसके बाद से इंद्र योग प्रारंभ हो जाएगा। उत्तर भाद्रपद नक्षत्र सुबह 10 बजकर 40 मिनट तक है, उसके बाद रेवती नक्षत्र लगेगा। रेवती नक्षत्र के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी लग जाएगा, जो पूरे दिन रहेगा। इन योगों के समय किए गए उपायों से पितृ शीघ्र प्रसन्न होने वाले माने गए हैं।

चैत्र अमावस्या के दिन सुबह नदी में स्नान के बाद दान करना चाहिए। जिन लोगों के आसपास नदी नहीं है, उन्हें घर पर ही स्नान करते समय गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए और इसके पश्चात दान करना चाहिए। जिन लोगों को पितृ दोष होता है, वे अपने पितरों को तर्पण देते हैं, पिंडदान करते हैं, श्राद्ध करते हैं। ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं। भोजन का एक हिस्सा गाय और कौआ को खिलाते हैं। अंत में पितरों के समक्ष हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं। और उनसे क्षमायाचना की जाती है, जिससे पितृ प्रसन्न होते हैं और ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। पिंडदान, श्राद्ध आदि के लिए दिन में 11.30 बजे से लेकर दोपहर 02.30 बजे तक का समय अच्छा माना जाता है।

चैत्र अमावस्या के दिन आप कालसर्प दोष से मुक्ति के भी उपाय कर सकते हैं। इसके लिए चांदी के नाग नागिन की पूजा करते हैं और फिर उनको नदी में प्रवाहित करते हैं। इसके अतिरिक्त गायत्री जाप या महामृत्युंजय जाप भी इसके निवारण के बड़े उपाय हैं। त्रयंबकेश्वर नासिक या उज्जैन आदि तीर्थ क्षेत्रों में सर्प पूजा कराने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। कालसर्प दोष निवारण के लिए सामान्य उपायों में कुत्ते की सेवा करना, कुत्ता पालना, कुत्ते को दूध रोटी खिलाना बहुत अच्छा उपाय माना गया है।

अमावस्या के दिन पिंडदान या तर्पण अगर स्वयं नहीं कर सके तो किसी जानकार ब्राह्मण से यह कार्य सम्पन्न करवाया जा सकता है। ब्राह्मण को कर्म के पश्चात श्रद्धानुसार दक्षिणा और भोजन करवाकर संतुष्ट करना चाहिए। इसके अलावा जरूरतमंदों को भोजन-वस्त्र दान करना चाहिए, जिससे जीवन में धीरे-धीरे समस्याएं स्वत: कम होने लगती है या समाप्त होती चली जाती है।

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