पापों से मुक्ति के लिए पापमोचनी एकादशी व्रत फलदायी || Vaibhav Vyas


 पापों से मुक्ति के लिए पापमोचनी एकादशी व्रत फलदायी

पंचांग के अनुसार वर्ष भर में मनाई जाने वाली 24 एकादशियों में से एक पापमोचनी एकादशी है जो चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, बाकी एकादशियों की तरह इस एकादशी पर भी भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है तथा व्रत रखा जाता है। मान्यता के अनुसार, जो भक्त पापमोचनी एकादशी व्रत रखता है तथा भगवान विष्णु की विधि-विधान अनुसार पूजा करता है उसके जन्म जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं तथा वह मोक्ष प्राप्त करने वाला होता है। पापमोचनी एकादशी व्रत करने वालों को इससे संबंधित कथा का श्रवण-वाचन करना चाहिए जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होने वाला होता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पापमोचनी एकादशी की प्रचलित कथा के अनुसार, बहुत समय पहले, चैत्ररथ सुंदर नाम के एक वन में प्रख्यात ऋषि च्यवन अपने ओज और तेज से भरपूर पुत्र मेधावी के साथ रहा करते थे। एक दिन मेधावी तपस्या में लीन था तभी स्वर्ग लोक की एक अप्सरा जिसका नाम मंजुघोषा था, वह वहां से गुजरी। मेधावी को देखते ही मंजुघोषा उसकी दीवानी हो गई। अप्सरा ने मेधावी को लुभाने की काफी कोशिश की लेकिन वह इस कार्य में असफल रही।

मंजुघोषा कि इन सभी कोशिशों को कामदेव देख रहे थे जो वहां मौजूद थे। वह मंजुघोषा की भावना से भलीभांति परिचित हो गए थे। मेधावी को लुभाने में कामदेव ने मंजुघोषा की मदद करने लगे और वह दोनों सफल रहे। मेधावी और मंजुघोषा दोनों अपने जीवन में काफी खुश थे लेकिन कुछ समय बाद मेधावी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने मंजुघोषा को श्राप दे दिया। मेधावी के श्राप के वजह से मंजुघोषा पिशाचिनी बन गई थी।

मंजुघोषा मेधावी से क्षमा याचना करने लगी और इस श्राप से मुक्त होने का उपाय मांगने लगी। तब मेधावी ने अप्सरा को पापमोचनी एकादशी व्रत करने का उपाय बताया। जैसे-जैसे मेधावी ने उसे व्रत की विधि बताई थी वैसे-वैसे मंजुघोषा उसे पूरा करती रही। मंजुघोषा पापमोचनी एकादशी व्रत के वजह से अपने पापों से मुक्त हो गई जिसके बाद मेधावी ने भी इस एकादशी का व्रत किया और अपने पापों से मुक्त हो गया। फलस्वरूप मेधावी को अपना ओज और तेज वापस मिल गया।

एकादशी के दिन व्रत करने के साथ-साथ सर्वप्रथम भगवान श्री विष्णु जी की पूर्ण विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। पूजा के पश्चात भगवान विष्णु की आरती करें और उन्हें फल-फूल और प्रसाद अर्पित करना चाहिए। व्रत खोलने से पूर्व एकादशी कथा का श्रवण-वाचन करना चाहिए जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि पापमोचनी एकादशी। इसीलिए इस दिन किए गए व्रत से व्रती के सभी पापों का शमन होकर उसके भगवान श्री विष्णु की कृपा प्राप्त होने वाली रहती है।

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