होलाष्टक में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित || Vaibhav Vyas


 होलाष्टक में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित

होलिका दहन से आठ दिन पूर्व होलाष्टक प्रारम्भ हो जाते हैं जो होलिका दहन के साथ होलाष्टक का समापन होता है। होलाष्टक के 8 दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक 8 ग्रह क्रमश: उग्र रहते हैं। इन ग्रहों में सूर्य, चंद्रमा, शनि, शुक्र, गुरु, बुध, मंगल और राहु शामिल हैं। इन ग्रहों के उग्र रहने से मांगलिक कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस वजह से मांगलिक कार्य की मनाही रहती है।

1. होलाष्टक में कभी भी विवाह, मुंडन, नामकरण, सगाई समेत 16 संस्कार नहीं करने चाहिए।

2. फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर पूर्णिमा के मध्य किसी भी दिन नए मकान का निर्माण कार्य प्रारंभ न कराएं और न ही गृह प्रवेश करें।

3. होलाष्टक के दिनों में नए मकान, वाहन, प्लॉट या दूसरे प्रॉपर्टी की खरीदारी से बचने की सलाह दी जाती है।

4. होलाष्टक के समय में कोई भी यज्ञ, हवन आदि कार्यक्रम नहीं करना चाहिए, उसे होली बाद या उससे पहले कर सकते हैं।

5. ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, होलाष्टक के समय में नौकरी परिवर्तन से बचना चाहिए। नई जॉब ज्वाइन करनी है, तो उसे होलाष्टक के पहले या बाद में करें। यदि अत्यंत ही आवश्यक है, तो कुंडली के आधार पर किसी ज्योतिषाचार्य की सलाह ले सकते हैं।

6. होलाष्टक के समय में कोई भी नया व्यापार शुरु करने से बचना चाहिए। इस समय में ग्रह उग्र होते हैं। नए बिजनेस की शुरुआत के लिए यह समय अच्छा नहीं माना जाता है। ग्रहों की उग्रता के कारण बिजनेस में हानि होन का डर रहता है।

होलाष्टक के समय में आप भगवान के भजन, कीर्तन, पूजा पाठ जैसे कार्य कर सकते हैं। इनके लिए कोई मनाही नहीं होती है। किसी ज्योतिषाचार्य की सलाह पर आप अपने उग्र ग्रहों की शांति के लिए विशेष उपायों को भी इन दिनों में कर सकते हैं। भजन-कीर्तन और पूजा-पाठ से जहां उग्र ग्रह शांत होंगे, वहीं मानसिक शांति प्राप्त होगी।

होलाष्टक में शुभ कार्य ना करने के पीछे एक पौराणिक मान्यता के अनुसार हिरण्यकश्यप ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी के दिन से पुत्र प्रहलाद को कई यातनाएं देना शुरू कर दिया था। वहीं भक्त प्रहलाद को मारने के लिए हिरण्यकश्यप ने कई षड्यंत्र भी रचे थे, लेकिन प्रहलाद पर श्री हरि विष्णु की कृपा थी, जिससे वह हर षड्यंत्र को मात देता गया। फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन में हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जल गई लेकिन प्रहलाद बच गया क्योंकि अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक भक्त प्रहलाद पर कई यातनाएं हुईं, यही कारण है कि इन 8 दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है और इन 8 दिनों को बेहद अशुभ माना जाता है।

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