पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए करें पूजा-स्नान और दान-पुण्य || Vaibhav Vyas


 पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए करें पूजा-स्नान और दान-पुण्य

सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। हर माह में एक अमावस्या पड़ती है और हर अमावस्या का अपना अलग महत्व होता है। माह में पडऩे वाली अमावस्या को उसी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। चैत्र माह में पडऩे वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या के नाम से जानते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र अमावस्या के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व होता है। इसी विशेष महत्व के चलते इस दिन पितरों के तर्पण का भी विशेष महत्व रखने वाला हो जाता है। इस दिन सूर्य देव के साथ पितरों की पूजा भी की जाती है। इससे पितर संतुष्ट होकर वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इस साल उदया तिथि के आधार पर चैत्र अमावस्या 1 अप्रैल को है। हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान-दान किया जाता है। पितृदोष से निजात पाने के लिए उपायों के साथ जरूरतमंदों को दान अवश्य करें। इस दिन पितृ तर्पण और पिंड दान आदि से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र अमावस्या  31 मार्च 2022 से शुरू होकर 1 अप्रैल को समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 1 अप्रैल को अमावस्या मनाई जाएगी। 

मान्यताओं के अनुसार चैत्र अमावस्या का धार्मिक महत्व अन्य अमावस्या की तुलना में ज्यादा है। इस दिन पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पूजा, स्नान और दान आदि करना शुभ माना गया है। साथ ही,  इस दिन कुछ ज्योतिषीय उपाय किए जाएं तो पितृदोष और कालसर्प दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है। इस दिन पितरों के तर्पण से उन्हें शांति मिलती है और व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है।

अमावस्या के दिन किसी नदी-सरोवर में स्नान-दान की परंपरा रही है। साथ ही, स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को दान देना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन अनाज, कपड़े, फल, खाने की सफेद चीजें. पानी के लिए मिट्टी के बर्तन और जूते या चप्पल दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं। अमावस्या के दिन दान-पुण्य के साथ ही साथ पशुओं को हरा चारा खिलाने से आने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।

अमावस्या के दिन मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। अमावस्या के दिन काली चींटियों को शक्कर मिला हुआ आटा जरूर खिलाएं। शाम के वक्त किसी अच्छे पुरोहित को बुलाकर घर में हवन करवाएं। अमावस्या की तिथि प्रमुख रूप से पितरों को समर्पित होती है। इस दिन पितरों के निमित्त दान-पुण्य जरूर करें। अमावस्या को पीपल के वृक्ष की पूजा करें तथा पेड़ को जनेऊ व अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु के मंत्र ऊं नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें उसकी सात परिक्रमा करें। माना जाता है कि इन उपायों को करने से समस्याओं में कमी आने लगती है।

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