नववर्ष पर करें धार्मिक आयोजन और अनुष्ठान || Vaibhav Vyas


 नववर्ष पर करें धार्मिक आयोजन और अनुष्ठान

वैदिक और सनातन कालगणना में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर नववर्ष की शुरुआत होती है। इसी अनुसार हमारे वैदिक महीनों के नाम भी होते हैं। जैसे- 1. चैत्र 2. वैशाख 3. ज्येष्ठ 4. आषाढ़ 5. श्रावण 6. भाद्रपद 7.आश्विन 8. कार्तिक 9. मार्गशीर्ष 10. पौष 11. माघ और साल का अन्तिम महीना 12. फाल्गुन माना जाता है।

चैत्र मास ही हमारा प्रथम मास होता है, जिस दिन ये मास आरम्भ होता है, उसे ही वैदिक नव-वर्ष मानते हैं। चैत्र मास अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च-अप्रैल में आता है, चैत्र के बाद वैशाख मास आता है जो अप्रैल-मई के मध्य में आता है, ऐसे ही बाकी महीने क्रमवार आते हैं। फाल्गुन मास ङ्क्षहन्दू नव वर्ष का अंतिम मास है जो फरवरी-मार्च में आता है। फाल्गुन की अंतिम तिथि से वर्ष की समाप्ति हो जाती है, फिर अगला वर्ष चैत्र मास का पुन: तिथियों का आरम्भ होता है जिससे नव-वर्ष आरम्भ होता है। हमारे समस्त वैदिक मास (महीने) का नाम 28 में से 12 नक्षत्रों के नामों पर रखे गये हैं। जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसी नक्षत्र के नाम पर उस मास का नाम हुआ है।

1. चित्रा नक्षत्र से चैत्र मास।

2. विशाखा नक्षत्र से वैशाख मास।

3. ज्येष्ठा नक्षत्र से ज्येष्ठ मास।

4.पूर्वाषाढ़ा या उत्तराषाढ़ा से आषाढ़। 

5.श्रावण नक्षत्र से श्रावण मास।

6.पूर्वाभाद्रपद या उत्तराभाद्रपद से भाद्रपद।

7. अश्विनी नक्षत्र से अश्विन मास।

8. कृत्तिका नक्षत्र से कार्तिक मास।

9,. मृगशिरा नक्षत्र से मार्गशीर्ष मास। 

10. पुष्य नक्षत्र से पौष मास।

11. माघा मास से माघ मास।

12. पूर्वाफाल्गुनी या उत्तराफाल्गुनी से फाल्गुन मास।

इसी अनुसार महीनों के अनुसार पूजा-उपासना का महत्व रहता है जो वर्ष पर्यन्त चलने वाला रहता है।  चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नव वर्ष की शुरुआत को उमंग और उत्साह से मनाने की शुरुआत से पूरे वर्ष सुखमय रहे इसलिए इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर पताका फेहराएँ, घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ। घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।  इस अवसर पर मां की पूजा-आराधना से वर्ष की शुरुआत करना सबसे श्रेयष्कर रहता है क्योंकि इसी दिन से नवरात्रि पर्व की शुरुआती भी हो जाती है। इसलिए इस दिन से ज्यादा से ज्यादा धार्मिक आयोजन और अनुष्ठान करने से मन की संतुष्टि के साथ-साथ घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होने वाला रहता है।

Comments