चतुर्थी व्रत से विघ्नहर्ता हरेंगे सभी संकट || Vaibhav Vyas


 चतुर्थी व्रत से विघ्नहर्ता हरेंगे सभी संकट

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी होती है और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 21 मार्च को है। इस दिन व्रत रखकर गणेश जी की पूजा करने के साथ ही चंद्रमा का दर्शन कर उन्हें जल अर्पित किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत बिना चंद्रमा को जल अर्पित किए पूर्ण नहीं माना जाता है। पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 21 मार्च को प्रात: 08 बजकर 20 मिनट पर हो रहा है। इस तिथि का समापन 22 मार्च को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर होगा। ऐसे में भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत 21 मार्च को रखा जाएगा क्योंकि चतुर्थी तिथि का समापन 22 मार्च को प्रात: ही होने वाला होगा। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता गणेश जी के पूजन का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक है। ऐसे में शुभ मुहूर्त में की गई पूजा विशेष फलदायी रहती है। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा का उदय रात 09.47 बजे होगा। संकष्टी चतुर्थी में चंद्रमा दर्शन और जल अर्पित करने के बाद ही व्रत का पारणा किया जाता है।

संकष्टी चतुर्थी सभी संकटों को हरने वाली होती है। गणेश जी प्रथम पूज्य हैं। इनके आशीर्वाद से सभी कार्य सफल होते हैं और शुभता में वृद्धि होती है तथा जीवन में सुख एवं समृद्धि आती है। इस दिन जो लोग व्रत रखते हैं, उनको भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का श्रवण वाचन करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होने वाला होता है।

संकट चतुर्थी के दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती है और शाम को भगवान श्रीगणेश की पूजा करती हैं। चंद्रदेव को जल अर्पित करने के बाद फलाहार करती हैं। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश की मूर्ति को गंगाजल और शहद से स्नान कराएं। इस दिन बप्पा को सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, प्रसाद आदि अर्पित करें। इस दिन शिवलिंग पर भी तांबे के लोटे से जल अर्पित करें। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश को बूंदी और तिल से बने लड्डुओं का भोग लगाएं। बच्चे के हाथों से मंदिर में तिल दान कराएं। घर के मंदिर में सफेद रंग के श्रीगणपति की मूर्ति की स्थापना करें। श्रीगणेश स्तोत्र का पाठ करें। भगवान श्रीगणेश को रोली और चंदन का तिलक लगाएं। शाम को भगवान श्रीगणेश जी के पूजन के समय सकट चौथ की कथा का पाठ करें। सकट चौथ के दिन भगवान श्रीगणेश को पान के पत्ते पर दो हरी इलायची और दो सुपारी रखकर अर्पित करें। विघ्नहर्ता से संकट को दूर करने की प्रार्थना करें। सकट चौथ के दिन लाल वस्त्र में एक सुपारी रखें। पूजन के बाद सुपारी को उसी लाल वस्त्र में लपेटकर अपनी तिजोरी में रख लें। इससे आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। इस व्रत में जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। गोशाला में दान करें। गाय को रोटी या हरी घास खिलाएं।

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