शिव मानस पूजा भोलेनाथ की अद्भुत स्तुति || Vaibhav Vyas


 शिव मानस पूजा भोलेनाथ की अद्भुत स्तुति

भगवान तो भाव के भूखे हैं, ऐसे में भावपूर्ण की पूजा-आराधना भगवान को रिझाने वाली होती है और भक्त पर उनकी कृपा बरसने लगती है। ऐसे ही शिव मानस पूजा भगवान भोलेनाथ की अद्भुत स्तुति है। शिव मानस पूजा स्तोत्र से शिव की आराधना भक्ति दैहिक और भौतिक कष्टों से शीघ्र मुक्ति दिलाता है। कहते हैं कि जो शिव भक्त प्रत्येक दिन अथवा सोमवार को शिव को इस स्तुति से जल अर्पित करता है, उसके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। पुराणों में भी शिव के इस स्तोत्र का वर्णन मिलता है। शिव मानस पूजा स्तोत्र में कुल मिलाकर 5 श्लोक है। मान्यता है कि इस स्तोत्र से शिव की आराधना करने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। शिव मानस पूजा की रचना स्वयं शंकराचार्य ने शिव की स्तुति के लिए की थी। इस स्तुति में शिव की मन ही मन पूजा से स्नान, वस्त्र-आभूषण और चन्दन आदि समर्पित करके शिवजी से हाथ जोड़कर क्षमा याचना करते हुए उनका ध्यान किया गया है। इस स्तुति का प्रतिदिन वाचन-श्रवण व्यक्ति को आत्मिक संतुष्टि देने वाला माना गया है।

शिव मानस पूजा स्त्रोत

रत्नै: कल्पितमासनं हिमजलै: स्नानं च दिव्याम्बरं

नानारत्नविभूषितं मृगमदामोदाङ्कितं चन्दनम्।

जातीचम्पकबिल्वपत्ररचितं पुष्पं च धूपं तथा

दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितं गृह्यताम्॥1॥

सौवर्णे नवरत्नखण्डरचिते पात्रे घृतं पायसं

भक्ष्यं पञ्चविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम्।

शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं

ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु॥2॥

छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निर्मलम्

वीणाभेरिमृदङ्गकाहलकला गीतं च नृत्यं तथा।

साष्टाङ्गं प्रणति: स्तुतिर्बहुविधा ह्येतत्समस्तं मया

सङ्कल्पेन समर्पितं तवविभो पूजां गृहाण प्रभो॥3॥

आत्मा त्वं गिरिजा मति: सहचरा: प्राणा: शरीरं गृहं

पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थिति:।

सञ्चार: पदयो: प्रदक्षिणविधि: स्तोत्राणि सर्वागिरो

यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्॥4॥

करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा

श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधम्।

विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व

जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेवशम्भो॥5॥

।। इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचिता शिव मानस पूजा संपूर्ण॥

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