सभी मनोरथ की पूर्ति ओम नम: शिवाय मंत्र से || Vaibhav Vyas

 सभी मनोरथ की पूर्ति ओम नम: शिवाय मंत्र से

ऊं नम: शिवाय का अर्थ- 'ऊं नम: शिवायÓ की पुराणों में बहुत महिमा बताई गई है। भगवान शिव की पूजा के लिए उनके इस षडक्षर मंत्र का जप सभी बाधाओं से मुक्ति देता है। प्रणव मंत्र 'ऊंÓ के साथ 'नम: शिवायÓ (पंचाक्षर मंत्र) का जप करने पर यह षडक्षर मंत्र बन जाता है। इसके एक-एक शब्द के रंग, ऋषि, देवता, छंद और स्थान अलग-अलग होते हैं। इसी कारण इस मंत्र की महिमा और मंत्रों से ज्यादा मानी गई है। शिव वैसे भी भोले और जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवान माने जाते हैं। अत: इस मंत्र का शुद्ध और शांत चित्त से नित्य किया गया जाप जीवन की सारी मनोकामनाएं पूर्ति करने वाला माना गया है।

एक-एक शब्द का अर्थ-

ब्रह्मणस्पते- ऊँ नम: शिवाय:

ऊँ- सफेद रंग, उदात स्वराय, ब्रह्मा ऋषि, गायत्री छंद, परमात्मा देवता, स्थान नाभी से हृदय, हृदय से कंठ, कंठ से मर्धनी।

न- पीला रंग, पूर्व मुख, इन्द्र देवता, गायत्री छंद, गौतम ऋषि, स्थान कंठ, हृदय, मूर्धा।

म:- कृष्ण वर्ण, दक्षिण मुख, अनुष्टुप छंद, अत्री ऋषि, रुद्री देवता, स्थान हृदय से नाभी तक।

शि- ध्रूम वर्ण, पश्चिम मुख, विश्वामित्र ऋषि, त्रिष्टुप छंद, विष्णु देवता, स्थान ललाट से कंठ तक।

वा- स्वर्ण वर्ण, उत्तर मुख, ब्रह्मा देवता, वृहती छंद अंगिरा ऋषि, स्थान मूलाधार से नाभी-हृदय से कंठ।

य- रक्त वर्ण, उध्र्व मूख, विराट छंद, भारद्वाज ऋषि, स्कंद देवता, स्थान हृदय, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार।

वेदों का सारतत्व- वैसे तो 'ऊं नम: शिवायÓ में कम ही अक्षर हैं लेकिन वेदों में इसे महान अर्थ से संपन्न मंत्र बताया गया है। इसे वेदों का सार तत्व भी कहा गया है। प्राचीन काल में ऋषियों ने इस मंत्र को मोक्षदायी, शिवस्वरूप और स्वयं शिव की आज्ञा से सिद्ध माना है।

कई सिद्धियों से युक्त- 'ऊं नम: शिवायÓ मंत्र विभिन्न प्रकार की सिद्धियों से युक्त है। यह शिवभक्तों के मन को प्रसन्न एवं निर्मल करने वाला मंत्र है। इसका जप करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। इसका उल्लेख शिव पुराण में मिलता है।

'ऊं नम: शिवायÓ का अर्थ- 'ऊं नम: शिवायÓ मंत्र का मतलब हुआ कि आत्मा घृणा, तृष्णा, स्वार्थ, लोभ, ईष्र्या, काम, क्रोध, मोह, मद और माया से रहित होकर प्रेम और आनंद से परिपूर्ण होकर परमात्मा का सानिध्य प्राप्त करें। अर्थात् आत्मा का परमात्मा से मिलन हो।

सृजनहार के रूप में पूजा- शास्त्र कहते हैं ऊं नम: शिवाय मंत्र इतना सर्वशक्तिमान और ऊर्जा से परिपूर्ण है कि इसका जप करने से ही प्राणी के समस्त दुखों का विनाश और मनोकामना पूरी हो जाती है। शिव का अर्थ है कल्याणकारी। लिंग का अर्थ है सृजन। सृजनहार के रूप में उत्पादक शक्ति के चिन्ह के रूप में लिंग की पूजा की जाती है।

भोले की कृपा पाने के लिए- शिव को प्रसन्न करने के लिए 'ऊं नम: शिवायÓ मंत्र का जप करने के साथ आप डमरू बजाएं। यदि जप के समय आपके साथ में और भी कोई है तो मंत्र के जप के साथ-साथ 'बम बम भोले, बम बम भोलेÓ का भी उच्चारण करते रहे। इससे भोले की कृपा मिलेगी।

धन प्राप्ति के लिए- धन की प्राप्ति के लिए उपासक को भगवान शिव के शिवलिंग पर बिल्व पत्र और बिल्व फल अर्पित करने चाहिए। इनके अर्पण के दौरान भक्त को ज्यादा से ज्यादा 'ऊं नम: शिवायÓ मंत्र का जप करते रहना चाहिए। बिल्व पत्र और बिल्व फल चढ़ाने के बाद पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की आरती करें।

गृहस्थ सुख के लिए- गृहस्थ सुख की प्राप्ति के लिए पत्थर के शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इसके लिए शिवलिंग के सम्मुख बैठकर लगातार 40 दिन तक भगवान शिव के षडक्षर मंत्र 'ऊं नम: शिवायÓ का जप करें। मंत्र जप एकांत में करना श्रेष्यस्कर माना गया है।

मुकदमे में जीत चाहिए- मुकदमे में विपक्षी के ऊपर विजय प्राप्त करने के लिए षडक्षर मंत्र 'ऊं नम: शिवायÓ का जप करने के साथ ही उपासक को अष्ट धातु से निर्मित शिवलिंग का पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से कम समय में ही मुकदमे या राजकीय कार्यों में जीत मिलती है।

ओम नम: शिवाय जप का तरीका- 'ऊं नम: शिवाय मंत्रÓ का प्रतिदिन रुद्राक्ष की माला से जप करना चाहिए। जप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए। यदि भक्त पर कोई परेशानी या समस्या आ जाएं तब श्रद्धापूर्वक 'ऊं नम: शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नम: ऊंÓ मंत्र का एक लाख जप करना चाहिए। यह बड़ी से बड़ी समस्या और विघ्न को टाल देता है।

ऊँ नम: शिवाय

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