शनि देव की कष्टकारी दृष्टियों से बचने के लिए करें उपाय || Vaibhav Vyas


 शनि देव की कष्टकारी दृष्टियों से बचने के लिए करें उपाय

न्याय के देवता शनि महाराज को लेकर आम तौर पर आम जातक में बहुत भय माना जाता है।  कुण्डली में शनि की स्थिति का प्रभाव जातक के व्यक्तित्व और महादशा का प्रभाव उसके जीवन की घटनाओं पर दृष्टिगोचर होता है। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के दृष्टि को बहुत महत्व दिया गया है। ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक ग्रह जिस घर में बैठा होता है, वह वहां से अपने से सातवें घर में मौजूद ग्रह पर पूर्ण दृष्टि या प्रभाव दिखाता है। परंतु मंगल, बृहस्पति और शनि ग्रह की तीन दृष्टियां होती हैं। इसमें शनि की तीन दृष्टियों 3,7,10 में तीसरी दृष्टि को बहुत ही शक्तिशाली और कष्टकारी माना जाता है। जिस भी व्यक्ति पर शनि के तीसरी दृष्टि का असर होता है, उसकी जिंदगी नर्क जैसी हो जाती है। शनि देव के सबसे खतरनाक तीसरी दृष्टि से बचने के लिए कुछ उपायों को अपनाया जाए तो उनमें कमी आने वाली होती है।

इसके लिए जातक को नियमित रूप से गरीबों की सेवा, भीखारियों की सेवा, रोगियों की सेवा करने से शनि की तीसरी दृष्टि से बहुत हद तक राहत मिलती है। भगवान हनुमान ने शनि देव की जान बचाई थी, इसलिए शनिवार के दिन लाल आसन पर लाल धोती पहनकर हनुमानजी की मूर्ति के सामने तेल का दीपक जलाने और हनुमान चालीसा के 21 बार पाठ करने से शनि की तीसरी दृष्टि से राहत मिलती है।

शनि देव की तीसरी दृष्टि से बचने के लिए जातक अपने घर पर आने वाले अतिथियों का भूल से भी अपमान या तिरस्कार ना करें। अपने सामथ्र्य के अनुसार, आप जो कर सकते हैं, अवश्य करें। शनिवार के दिन शनि मंदिर में सरसों का तेल चढ़ाने से और सरसों के तेल का दान करने से हम शनि के तीसरी दृष्टि के प्रकोप से बच सकते हैं। सबसे पहले तो यह ध्यान रखें कि कभी भी शनिवार के दिन तेल नहीं खरीदें। तेल को पहले से ही खरीदकर घर में रखें और उसी में से थोड़ा-थोड़ा शनि मंदिर में अर्पित करें। जब शनिदेव की मूर्ति पर तेल अर्पित करें तब कभी भी उनकी आंखों में ना झांके क्यूंकि उनकी दृष्टि को ही खराब माना गया है। शनि देव जी के चरणों में देखते हुए तेल दें। चाहे तो शनिवार के दिन तेल मांगने वाले को भी तेल दान कर सकते हैं। यह तेल दान छाया दान के रुप में भी दिया जा सकता है। एक कटोरी में थोड़ा सा तेल लेकर उसमें अपनी परछाई देखकर उसे दान कर दें, इसे छाया दान कहा गया है। साथ में एक सिक्का भी अवश्य दान करना चाहिए। शनि देव को काली चीजें पसंद हैं, इसलिए शनिवार के दिन काले घोड़े को सवा किलो चना खिलाने से शनि की तीसरी दृष्टि से राहत मिलती है।

शनि की महादशा की स्थिति में शनि के मंत्रों का जाप करना चाहिए। शुक्ल पक्ष के शनिवार से संध्या समय में मंत्र जाप आरंभ करने चाहिए। स्वच्छ वस्त्र पहन कर शुद्ध आसन पर बैठना चाहिए। उत्तर अथवा पूर्व की ओर मुख करना चाहिए। उसके बाद शुद्ध मन से शनिदेव को याद करके मंत्र जाप शुरु करना चाहिए और मंत्र की एक माला का अवश्य जाप करना चाहिए, जिससे अशुभ फलों में कमी आ सकती है। ऊँ शं शनैश्चराय नम:, पिप्पलाद ऋषिकृत शनि स्तोत्रं या फिर ऊँ गं गणपतये नम: मंत्र का जाप विशेष फलदायी रहता है।

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